बीकानेर,धर्म ग्रंन्थों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल दशमी के दिन कंस का वध किया था. इस साल ये तिथि 3 नवंबर यानि गुरुवार को पड़ी है. मथुरा, वृंदावन और इसके आस-पास के क्षेत्रों में आज का दिन कंस वध उत्सव के रूप में मनाया जाता है.बीकानेर. भगवान श्रीहरि विष्णु के कृष्ण अवतार में जन्म लेने और कई लीलाओं के रचने की बातें आज भी प्रासंगिक है. देवकीपुत्र कृष्ण ने मां यशोदा के लाला के रूप में ख्याति पाई. माखन चोर और सुदर्शन चक्रधारी बने. श्री कृष्ण ने पृथ्वी को आतताईयों से मुक्त कराने के अपने जन्म के उद्देश्य में कार्तिक शुक्ल दशमी को अपने मामा कंस का वध किया था.
कृष्ण की मां देवकी का चचेरा भाई था कंस: कंस अपनी प्रजा में भय और आतंक का माहौल रखता था और शासन पाने के लिए उसने अपने पिता उग्रसेन को भी कारागृह में डाल दिया था. कंस भगवान श्रीकृष्ण की मां देवकी का चचेरा भाई था और वह देवकी से काफी स्नेह भी करता था. आकाशवाणी हुई तो कंस को इस बात का पता चला कि देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र ही उसकी मौत का कारण बनेगा.अपनी मौत की आकाशवाणी से स्तब्ध और घबराए कंस ने तय किया कि वह देवकी और वासुदेव की सभी संतानों को मार देगा. उसने ऐसा किया और देवकी और वासुदेव की 6 संतानों को उसने कारागृह में ही जन्म लेते ही मार दिया. लेकिन सातवीं संतान योग माया आईं और आठवीं संतान के रूप में खुद श्री हरि विष्णु ने कृष्ण अवतार में देवकी के गर्भ से जन्म लिया लेकिन उस दिन भारी बारिश और तूफान के बीच कारागृह से वासुदेव श्रीकृष्ण को नंद बाबा के यहां यमुना नदी को पार कर गोकुल छोड़ आए. कई बार किया निष्फल प्रयास: कंस को जब श्रीकृष्ण जी के गोकुल में होने की सूचना मिली तो उसने उन्हें मारने के लिए कई प्रयास किए. लेकिन कई असुरों को भेजने के बाद भी कृष्ण की लीला के आगे सदैव बेबस नजर आया और जब श्री कृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा आए तो कार्तिक शुक्ल दशमी को प्रजा को कंस के अत्याचारों से मुक्त करते हुए उसका वध कर दिया.