बीकानेर,राजस्थान के धोरों की तपिश भले ही उत्तर से आती हवाओं ने कम कर दी हो लेकिन सूबे की सियासी तपिश आगामी दिनों में बढ़ने वाली है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच की सियासी अदावत जगजाहिर है. इसी बीच पिछले दिनों हुए सियासी संकट के बाद एक बार फिर पायलट समर्थकों की उम्मीदें जगी हैं. लकिन एक बार फिर अब इंतज़ार लम्बा होता दिखाई दे रहा है. ऐसे में सचिन पायलट को अलग पार्टी बनाने की सलाह देने वालों की फिर कतार लगनी शुरू हो गई हैं. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सचिन पायलट को नई पार्टी बनाने की सलाह दी है, लेकिन कई सियासी पंडितों का कहना है कि इसके जरिए बेनीवाल अपना हित साधना चाहते हैं.
पायलट के हिस्से अब भी इंतजार
दरअसल कांग्रेस को नया बॉस मिल गया है. लिहाजा ऐसे में एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस की निगाहें दिल्ली दरबार पर टिक गई हैं. राजस्थान को लेकर लंबित फैसलों पर एक्शन होने के आसार दिखाई दे रहे हैं. सबसे ज्यादा उम्मीदें सचिन पायलट गुट और उनके समर्थकों को हैं. लेकिन एक बार फिर इंतजार की घड़ियां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का कहना है कि कांग्रेस के दो फाड़ हो चुके हैं. एक फाड़ CM गहलोत का है और दूसरा फाड़ पायलट का है. ऐसे में पार्टी खत्म हो चुकी है. लिहाजा ऐसे में बेनीवाल ने पायलट को सलाह दी है कि उनकी जाति, युवा और समाज के विभिन्न वर्गों में प्रभाव है. उन्हें अपनी अलग पार्टी बना लेनी चाहिए.
बेनीवाल देख रहे अपना भविष्य
सियासी पंडितों का कहना है कि हनुमान बेनीवाल इसके जरिए अपना सियासी भविष्य साधने में जुटे हुए हैं. साल 2018 में भी बेनीवाल ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी, तो साल 2020 में भी बेनीवाल पायलट को अलग पार्टी बनाने की सलाह दे चुके हैं. कहा जा रहगा है इसके जरिए ना सिर्फ राजस्थान कांग्रेस कमजोर हो जाएगी.बल्कि पायलट अलग पार्टी बनाते हैं तो भविष्य में हनुमान बेनीवाल को गठबंधन का एक साथी मिल सकता है. हालांकि मौजूदा सियासी परिदृश्य में ऐसा होना मुश्किल दिखाई देता है लेकिन कहते हैं सियासत में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता. बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 27 अक्टूबर को कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष खड़गे से मुलाकात की है. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच लंबी चर्चा हुई है. खड़गे के अध्यक्ष का चार्ज संभालने के बाद पायलट ने पहली बार उनसे मुलाकात की है. दोनों नेताओं की मुलाकात के सियासी मायने हैं.