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बीकानेर.सुपर स्पेशलियटी यूनिट (एसएसबी) की राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसाइटी आरएमआरएस को अस्तित्व में लाने की कवायद को तेज कर दिया गया है। इसके पूर्ण रूप से अस्तित्व में आने के बाद एसएसबी प्रशासन को पीबीएम अस्पताल प्रशासन के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। इस समय एसएसबी में कोई भी मशीन खराब होने पर उसे ठीक कराने के लिए पीबीएम की आरएमआरएस के भरोसे रहना पड़ता था। लेकिन अब इसके सक्रिय रूप से काम करने के कारण मशीनों को ठीक कराने तथा अन्य आवश्यकताएं समय पर पूरी हो सकेगी। आरएमआरएस का बैंक खाता भी खुल गया है।

पंजीकरण के लिए भेजी फाइल

किसी भी सोसाइटी को पारदर्शिता से काम करने के लिए सहकारी समितियों में पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। जब तक पंजीकरण नहीं होता है। जब तक सोसाइटी पूर्ण रूप से अस्तित्व में नहीं आती है। साथ ही इसका खर्चा तथा संविधान भी मान्य नहीं माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए एसएसबी की आरएमआरएस के पंजीकरण के लिए सहकार संघ में फाइल भेजी हुई है। आगामी दिनों में पंजीकरण होने के बाद यह पूर्ण रूप से मान्य होगी। संविधान के अनुसार हर तीन माह में बैठक भी करनी होगी। साथ ही इसका आय-व्यय का ब्योरा भी रखा जाएगा। सोसाइटी का अध्यक्ष संभागीय आयुक्त होते हैं।

एक साल पहले हुआ था गठन

हालांकि एसएसबी की आरएमआरएस का गठन एक साल पहले हुआ था, लेकिन पंजीकरण नहीं कराया गया था। सरकार ने दो बाहरी व्यक्तियों को इसका सदस्य भी बनाया था। लेकिन बैठक एक बार भी नहीं हुई थी। क्योंकि पंजीकरण के बिना सोसाइटी का कोई महत्व नहीं होता है। इस वजह से एसएसबी में खर्चा संबंधी काम कराने के लिए यहां के प्रशासन को पीबीएम अस्पताल अधीक्षक के पास फाइल चलानी पड़ती थी।इसलिए अधीक्षक ने दिया था इस्तीफा

एसएसबी में सोसाइटी का गठन नहीं होने तथा अन्य समस्याओं का समय पर समाधान नहीं होने पर एसएसबी के अधीक्षक डॉ. गिरीश प्रभाकर ने इस पद से इस्तीफा भी दे दिया था, लेकिन सरकार ने इसे मंजूर नहीं किया। हालांकि डॉ. प्रभाकर ने त्याग पत्र में व्यक्तिगत कारणों का उल्लेख किया था। इसके बाद कई चिकित्सकों को अधीक्षक बनने से इनकार कर दिया था।

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