बीकानेर,दीपावली का त्योहार पूरा देश मना रहा है. दीपवाली के दूसरे दिन दिवली का राम-राम होती है.दीपावली पर लोग सुंदर दिखने के लिए नए-नए कपड़े खरीदते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान में एक पूर्व शाही परिवार ऐसा भी है जो दिवाली का त्योहार काले कपड़े पहन कर मनाता है.
जयपुर का पूर्व शाही परिवार शाम होते ही काले कपड़े पहन लेता है. इसके पीछे का कारण एक लंबी परंपरा बताई जाती है. पूर्व शाही परिवार के सदस्यों की माने तो वह युद्ध में अपने पूर्वजों के बलिदान और शहादत को याद करते हैं और इसी वजह से काले कपड़े पहनने की परंपरा को निभाते हैं.
पूर्व शाही परिवार की सदस्य पद्मिनी देवी, भाजपा सांसद दीया कुमारी, पद्मनाभ सिंह, लक्ष्यराज सिंह, गौरव सिंह सहित परिवार के सदस्य आज भी इस परंपरा को जारी रख रहे हैं. दिवाली पर अमावस्या है. बताया जाता है कि इस दिन युद्ध हुआ था. इस युद्ध में जयपुर के शाही परिवार के कई लोग शहीद हुए. इसी दिन उन्हें श्रद्धांजलि भी देने का रिवाज है. बताया जाता है कि 10वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कछवाहा राजा ‘सोध देव’ की मृत्यु के बाद जब उनके भाई ने गद्दी संभाली, तो रानी नाराज होकर राजस्थान के खोहम-नागोरियन इलाके में आ गईं. उनके बेटे रहे ‘दूल्हा राय’. एक बहन का सम्मान राजा चंदा मीणा ने दिया. साथ ही दूल्हे ने ही राय की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी भी ले ली. अपने पति के भाई की इस हरकत पर गुस्सा और नाराजगी जताने के लिए उन्होंने काली पोशाक पहनी और दिवाली मनाई. तभी से जयपुर के शाही परिवार में इस तरह की दिवाली मनाने का रिवाज शुरू हुआ.
पूर्व शाही परिवार के सदस्य प्रकाश की कामना के लिए काले और नीले रंग के कपड़े अमावस्या की अंधेरी रात में पहनते हैं. भगवान राम के वंशज जयपुर के पूर्व शाही परिवार को भी कहा जाता है जो कछवाह वंश के हैं. जयपुर की स्थापना करने वाले पूर्व राजा सवाई जय सिंह द्वितीय की तरह, उनके वंशजों ने हमेशा काले कपड़े पहनकर दिवाली का त्योहार मनाया.