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बीकानेर,सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने बॉर्डर पर दिवाली मनाई। इस मौके पर भारत-पाकिस्तान की अलग अलग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर शांति व सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए जवानों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया।दोनों देशों के जवानों ने इस अवसर पर एक दूसरे को शुभकामनाएं भीं दीं। बीएसएफ ने बताया कि दिवाली के मौके पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स ने गुजरात, राजस्थान और पंजाब के अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स को मिठाई भेंट की। इस अवसर पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने भी मिठाई भेंट करते हुए दीपावली की शुभकामनाएं दी।

दिवाली पर ये कार्यक्रम राजस्थान के बाड़मेर जिले के मुनाबाओ, गदरा, केल्नोर, सोमरार और गुजरात के बनासकांठा और कच्छ जिले सहित पंजाब के अमृतसर में अटारी-वाघा की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर हुआ। इसके अलावा भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी जवानों ने इसी तरह मिठाइयों का अदान-प्रदान कर शुभकामनाएं दीं। ये परंपरा कई सालों इसी तरह से चली आ रही है। बीएसएफ ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के त्योहारों पर इस तरह मिठाई के आदान-प्रदान और शुभकामनांए देने से आपसी सौहार्द और भाईचारा बढ़ता है। इसके साथ ही सीमा के दोनों ओर तैनात बलों के बीच शांतिपूर्ण माहौल बनता है।पंजाब के अमृतसर में अटारी-वाघा बॉर्डर पर भी सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तानी रेंजर्स ने मिठाइयों का आदान-प्रदान किया और दिवाली की बधाई दी। वहीं सीमा सुरक्षा बल की 176 बटालियन ने दिवाली सिलीगुड़ी के पास फुलबाड़ी भारत-बांग्लादेश सीमा पर 18 बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान किया। बता दें कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी बीएसएफ जवानों ने पाकिस्तान रेंजर्स को मिठाई भेंट की थी।

बता दें कि अटारी-वाघा सीमा पर रोजाना बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन भी किया जाता है।बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरूआत 1959 में हुई थी और भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इसे आयोजित करता है। बता दें कि आधिकारिक तौर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का उद्देश्य औपचारिक तौर पर भारत की सीमा रात के लिए बंद करना है। सुबह राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ फहराया जाता है और सूर्यास्त से पहले सम्मान के साथ नीचे उतर लिया जाता है। इस दौरान हमारे जवान अपने हाव-भाव से पाक रेंजरों को ललकारते हैं। ऐसे में अटारी बॉर्डर पूरी तरह देशभक्ति के रंग में रंग जाता है। मार्च के दौरान दोनों देशों के जवान अपने पैरों को सिर के ऊपर तक उठाते हैं।

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