बीकानेर में राजनीतिक पार्टियों और नेताओं का जनहित दीपावली त्योहार पर के ई एम रोड पर बिछी कालीन में प्रतिकात्मक रूप से छिप गया है। डा.नीरज के. पवन की लोकप्रियता बीकानेर में परवान पर है। यह सच है कि सारे नेता तो सारे अफसर भी दूध के धुले नहीं होते,परंतु जिसमें करके दिखाने का जज्बा होता है वह सबका प्यार हो जाता है। के ई एम रोड की यातायात व्यवस्था सुधारने का जज्बा पवन ने दिखाया वो दरअसल बीकानेर के नेताओं को आईना दिखाने जैसा ही है। डा. बी. डी. कल्ला के अनुशंसा के बावजूद के ई एम रोड पर दुकानों के आगे वाहन खड़े करने की मनाई कायम रही। कल्ला और अर्जुन राम मेघवाल मिलकर रेलवे फाटकों की समस्या का राजनीतिक समाधान का प्रयास कर रहे हैं उसकी वास्तविकता भी सामने ला दी गई है। उनकी सक्रियता को देखकर लोग चर्चा करने लगे है कि क्या नीरज के. पवन बीकानेर से चुनाव लडेंगे ? इसका अर्थ यह हुआ कि काम करके लोक प्रियता हासिल की जा सकती है। संभागीय आयुक्त ने कोई बीकानेर की तस्वीर नहीं बदल दी है, न ही विकास का कोई चमत्कार करने वाला काम किया है, परंतु बदलने का प्रयास निष्काम भाव से किया है। बीकानेर के नेता सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किए गए कामों को खुद की उपलब्धियों के गीत गा गाकर ढिढौरे पीट पीट कर वोटो के लिए बताते फिरते हैं फिर भी जनता नोटिस नहीं लेती। इधर नीरज ने बस स्टाफ व्यवस्थित करने, रास्ते ठीक करने, अतिक्रमण हटाने और जहां कमी दिखी वहां की व्यवस्था ठीक करने का प्रयास किया। जनता को ठीक लगा तो वाह वाही देने लगी। यह भी कड़वा सच है कि बीकानेर का जिला प्रशासन कमोबेश नकारा ही है। नगर निगम, न्यास के तो हालत ही खराब है। जिला कलक्टर की तो प्रशासनिक दक्षता भाटी मेघवाल एपिसोड में साफ ही दिख गई। वैसे भी कलक्टर का भाव शून्य चेहरा जनता को अपनापन नहीं दे पा रहा है। नीरज ने बीकानेर की साफ सफाई, चौराहों के विकास में रुचि दिखाई ।पर्यटन विकास के लिए नए डेस्टिनेशन देखे। बीकानेर थिएटर फेटिवल को समर्थन दिया। औद्योगिक विकास, जन समस्या के निस्तारण में कितनी रुचि दिखाई यह पब्लिक के सामने हैं। हमारे जनप्रतिनिधि जिस तरफ झांकते ही नहीं वो काम नीरज ने करने की कोशिश की। यहां उद्देश्य नीरज के पवन के प्रशंसा के पुल बांधना नहीं है। नेताओं की बीकानेर के जनहित के प्रति संवेदनशीलता और सक्रियता की तुलना करना है। यह भी बताना है कि जनप्रतिनिधि वोटों की राजनीति तक ही सीमित है। जनता की समस्या के प्रति उनकी सक्रियता जनता के सामने हैं। वो ही के ई एम रोड, फड़ बाजार की दिक्कत कैसे कम हो गई। रेलवे फाटक यातायात कैसे सुधर गया? अतिक्रमण कैसे हट गए? अतिक्रमणकारी गिरोह कहां गायब हो गया। पी बी एम में कॉकस कैसे टूट गया? वैसे नीरज के पवन ने जो भी प्रयास किए हैं यह उनकी ड्यूटी का पार्ट है। वे सरकार के नुमाइंदे है और वेतन पाते हैं। ऐसा करने से उनका पूरे प्रदेश के प्रशासनिक हल्के में साख ही बढ़ी है। जनता भी उनको सिर आखों पर बिठाए हुए हैं। यही कारण है कि बीकानेर में कई नेताओं से ज्यादा उनकी लोकप्रियता है।
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