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जयपुर,क्या महिलाओं में पुलिस का खौफ नहीं बचा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस महिला सुरक्षा कानून को महिलाओं की सुरक्षा के लिए लाया गया था, वही कानून पुरुषों के और उनके परिजनों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। जीते जी कई पुरुष और उनके बुजुर्ग परिजन अपमानित और नरक सा जीवन जीने को मजबूर हैं। महिलाओं द्वारा करीब 50 फ़ीसदी तक झूठे मामले दर्ज करवाए जा रहे हैं। लेकिन राजस्थान महिला आयोग ने अब इस मामले में सख्त एक्शन लेने की तैयारी की है।

ऐसे झूठे केस करवाने वाली महिलाओं के खिलाफ राज्य महिला आयोग सख्त एक्शन लेगा। पुलिस को झूठा केस दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं। राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने पुरुषों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करवाने वाली महिलाओं पर बड़ी सख्ती दिखाते हुए ऐसी 51 महिलाएं चिन्हित की है। जिनके खिलाफ अब एसपी को ब्योरा भेजकर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। यह वह महिलाएं हैं जिन्होंने अपने पतियों या उनके परिजनों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराकर बेवजह उन्हें तंग करने का साजिश पूर्ण तरीके से प्रयास किया, दहेज और घरेलू हिंसा के झूठे मामले दर्ज करवाए।थानों में लगभग 50 फीसदी से ज्यादा फर्जी केस रजिस्टर हो रहे हैं। बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग सहित कई राज्यों के महिला आयोग यह बात कह चुके हैं कि घरेलू हिंसा दहेज प्रताड़ना के कई मामले दोस्तों और साजिश पूर्ण तरीके से जूते दर्ज कराए जाते हैं जिसके चलते कई घर बर्बाद हो चुके हैं वहीं पुरुषों की जिंदगियां तबाह हो चुकी है। ऐसे में इन पर रोक लगाने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है और इसी दिशा में राजस्थान राज्य महिला आयोग अध्यक्ष का यह बयान भी काफी हो गया है।

महिलाओं को पुलिस जांच का बिलकुल भी खौफ नहीं है। हर फर्जी केस में लगभग दो से तीन महीने पुलिस परेशान रहती है। इनमें सबसे ज्यादा मामले महिला अत्याचार से जुड़े है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानून की आड़ में आपसी द्वेषभावना, बदला लेने, सम्पति हड़पने, आर्थिक लाभ के लिहाज से फर्जी केस दर्ज करवाए जा रहे हैं। फर्जी केस करवाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आत्महत्या को दहेज के लिए हत्या में बदलने का खेल तक खेला जा रहा है। दरअसल किसी महिला के द्वारा परेशान होकर आत्महत्या करने की स्थिति में विवाहिता के परिजनों की ओर से ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज करवाया जाता है। जब कई मामलों में पड़ताल की गई तो सामने आया कि दहेज हत्या के कई मामले झूठे निकले। जिसमें बताया गया कि विवाहिता के ससुराल पक्ष के लोग दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे जिससे तंग आकर विवाहिता ने आत्महत्या कर ली।महिला आत्महत्या के अधिकांश मामलों में दहेज हत्या के कानून को हथियार बनाया जाता है। पर अक्सर देखा गया है कि अक्सर ऐसा कम ही संभव है कि किसी परिवार की ओर से दहेज के लिए विवाहिता की हत्या कर दी हो। हां यह जरूर है कि पारिवारिक कलह, पति-पत्नी के बीच मनमुटाव सहित अन्य कई कारण हो सकते है। इसी के चलते दहेज प्रताड़ना के कानून में संशोधन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है।

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