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बीकानेर,बीकानेर शहर की सिंगियो के चौक में मंगलामुखी किन्नर समाज की राजा महाराजाओं के जमाने की गद्दीपति हवेली आज भी है, जिसकी चौदह पीढिय़ां गद्दीधारी है, हमारे पास तामपत्र है, हवेली के बाहर भी बड़े अक्षरों में हिंजड़ो की हवेली लिखा हुआ है। यहां से हमारे बावन घर निकास हुए हैं। ऐसी गद्दी को थर्डजैंडर के नाम से प्रचारित और प्रसारित करने पर हमें घोर आपत्ति है। हमें हिजड़ा कहो, किन्नर कहो, हम बुरा नहीं मानेंगे लेकिन थर्डजैंडर  कहना हमें बर्दाश्त नहीं। थर्डजैंडर  उसे कहा जाता है जो अपना लिंग परिवर्तन कराते हैं, लडक़ी से लडक़ा और लडक़े से लडक़ी बनने वालों को ट्रांसजैंडर कहा जाता है, । हमें लिंग परिवर्तन कराने की जरूरत नहीं है और ना ही हम ऐसे लोगों को अपनी बिरादरी का मानते हैं। तीखे तेवर के साथ मंगलामुखी किन्नर समाज की गद्दीपति मुस्कान बाई ने बुधवार को आनन्द निकेतन में पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह बात कही। मुस्कान बाई ने बताया कि हाल ही में हमारे लिए थर्ड जैंडर शब्द का इस्तेमाल समाचार पत्रों में किया गया। हमारी हवेली के नाम से थर्ड जैंडर हमसे पूछे बगैर लिखा गया, इससे हमें आपत्ति है। साथ ही हम सरकार से भी मांग करते हैं कि वह जैंडर परिवर्तन करने वालों को ढाई लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दे रही है, वह गलत है। इस तरह से हर कोई जो गे हैं, वह ट्रांसजैंडर करवाने लगेगें। इससे हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। लालगढ़ से चन्द्राबाई उर्फ रुकसार बाई ने बताया कि हमारा हाथ जोड़ निवेदन है कि हमें थर्ड जैंडर के नाम से प्रचारित- प्रसारित नहीं किया जाए, हम तो किन्नर हैं और किन्नर दुआओं के लिए बने हैं। चन्द्राबाई ने कहा कि सरकार ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया और ट्रांसजैंडरों को जर्बदस्ती पहचान देने का प्रयास किया तो हमें सडक़ से लेकर संसद तक धरना प्रदर्शन करने पर विवश होना पड़ेगा। प्रेसवार्ता में नोखा से गुरुजी मंजूबाई, सरिता बाई ने भी लिंग परिवर्तन के लिए प्रोत्साहन राशि देने की योजना पर रोष प्रकट किया। साथ ही कहा कि सरकार से हम आग्रह करेंगे कि वह हमें ऐसा परिचय पत्र जारी करे जो हमें किन्नर होने की पहचान दिलाए, इसके लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे।

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