बीकानेर,बीकानेर में दीपावली पर जुआ खेलने की परम्परा के चलते कई गली मोहल्लों में लोग जमकर जुआ खेलते हैं और प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद कोई रोकटोक नहीं है। वहीं बड़ी संख्या में लोग घरों में ही जुआ खेलते हैं। चिंता की बात ये है कि जुआरियों की इस भीड़ में कई यूथ भी शामिल हो जाते हैं जो दीपावली के बाद भी जुआ खेलने की गंदी लत लगा लेते हैं। शहर के भीतरी क्षेत्र में दीपावली पर खुले आम जुआ खेलने के दृश्य आम होते हैं। एक वक्त था जब दम्माणी चौक में जमकर जुआ खेला जाता था लेकिन स्थानीय नागरिकों की सक्रियता के चलते यहां अब जुआ पहले की तुलना में बहुत कम हो गया। वहीं बिन्नाणियों के चौक में अब जुआ जमकर खेला जाता है। शाम से लेकर देर रात तक लोग यहां जुआ खेलते हैं। बिन्नाणी चौक से मोहल्ला चूनगरान की ओर जाने वाले रास्ते के बीच में ही बड़ी संख्या जुआरियों का जमघट लगा देखा जा सकता है। जिसमें आदतन जुआरियों के साथ ही युवा भी शामिल हो जाते हैं। इसके अलावा जस्सूसर गेट,नत्थूसर गेट,जस्सोलाई,मोहता चौक,गंगाशहर,पूगल रोड,कोठारी अस्पताल,पुरानी गिन्नाणी सहित कई एरिया में लोग खुले आम जुआ खेलते देखे जा सकते हैं। नयाशहर थाने से महज पांच-सात सौ मीटर दूरी पर भी जुआरियों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। थाने के पीछे नत्थूसर बास से पहले चौक में बड़ी संख्या में जुआरियों का हुजूम लगता है। सिर्फ शहर के भीतरी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कॉलोनियों में भी दीपावली पर जुआ खेलने का सिलसिला चलता है। हालांकि पुलिस अधीक्षक योगेश यादव ने विगत दिनों थानाधिकारियों को बैठक के दौरान सचेत भी किया था। किन्तु उनकी हिदायत बेअसर नजर आ रही है।
घरों में भी लगती है जमघट
मंजर यह है कि खुलेआम जुआघर के साथ कई घरों में भी जुएं का जमघट लगता है। स्थानीय लोग अनेक बार पुलिस थानों में भी फोन करते है। किन्तु कार्रवाई के नाम पर दिखावा ही होता है। घरों में लगने वाले इन जुआघरों में शहर के बड़े बड़े नामचीन लोग भी शामिल होते है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन दिन से शहर में जगह-जगह जुआ बदस्तूर जारी है। पुलिस प्रशासन केवल खानापूर्ति के लिए एक-दो कार्रवाई कर इतिश्री कर रहा है। दीपावली को लेकर शहर में चल रहे जुए की फड़ इस बात की ओर इंगित कर रही है कि जुआरियों में पुलिस का जरा भी खौफ नहीं है। शहर के भीतर अनेक मोहल्लों व चौक में सार्वजनिक रूप से लाखों रुपए के दाव लग रहे हैं।
छोटे से बड़ा हर दाव
ये जुआरी छोटे से बड़े हर दाव लगाते हैं। आमतौर पर नंबर पर जुआ खेला जाता है। इसके अलावा एक चौकी लगाकर उस पर जुआ खेला जाता है। दस रुपए से पांच सौ रुपए तक के दाव लोग खेलते हैं। दस मिनट के खेल में हजारों रुपए इधर से उधर हो जाते हैं।
पुलिस को सब पता है
ऐसा नहीं है कि पुलिस को जुआ खेलने के अड्डों के बारे में पता नहीं है। दम्माणी चौक में बड़ी संख्या में जुआ होने पर पुलिस ने वहां गश्त लगा दी थी, इसके बाद से वहां जुआ लगभग बंद हो गया। इसी तरह अन्य चौक व कॉलोनियों में भी जुआ रोकने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं।
शिकायत पर कार्रवाई
उधर पुलिस का अजीब ही तर्क है कि अगर किसी की शिकायत मिलती है तो पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार है। जबकि अनेक शिकायतें थानों में पहले से ही पैडिंग पड़ी है,उस पर गौर पुलिस कर ही नहीं रही।
गांव भी अछूते नहीं
ऐसा नहीं कि यह सिर्फ शहरी क्षेत्र की समस्या है,ग्रामीण अंचलों में भी दीपावली पर ‘शगुन’ के नाम पर ताश के पत्तों पर लाखों के दांव लगने शुरू हो गए। चौक, चौराहों से लेकर बंद व सुने मकानों में चल रहे जुए के फड़ में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दांव लगा रहे हैं। पुलिस प्रशासन की उदासीनता के चलते सार्वजनिक स्थलों पर निर्बाध रूप से चल रहा जुआ आमजन के लिए खासा सिरदर्द बन चुका है। जुए के स्थलों पर दर्जनों वाहनों की मौजूदगी के साथ कई बार हो रहे झगड़ों के कारण कानून व्यवस्था की पोल खोल रहे है।