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बीकानेर,थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,मैं हाजिर नाजिर कब की खड़ी ’’ इन स्वर लहरियों से शहर के प्रख्यात संगीत साधक पंडित केशव शर्मा ने मीरां के पदों की सुरमयी प्रस्तुति देते हुए आगंतुक सुधि श्रोताओं का मन मोह लिया।

अवसर था – परम्परा और बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के सह आयोजन में कला-सृजनमाला की पांचवीं मासिक कड़ी के तहत 16 अक्टुबर, 2022 को स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा भवन सभागार में आयोजित के तहत भजन संध्या का। उल्लेखनीय है कि कीर्तिशेष डॉ.श्रीलाल मोहता की पावनस्मृति में प्रत्येक माह की 16 तारीख को कला-सृजनमाला के तहत डॉ.श्रीलाल मोहता के बहुविध व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने के लिए विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं।
पं. केशव शर्मा ने भीम पलासी, कलावती और भैरवी रागों पर आधारित रामा राम जगजीवन मोरा.., सीयाराम बिना दुख कौन हरे, दीनों का पालन कौन करे…, जीव बटाउ बहता मार्ग माहीकृ….और तुम्हरो भरोसो पावै जैसे मीरां, तुलसी, कबीर और सूरदास जी के पदों, भजनों की भावभींनी प्रस्तुति देकर भजन संध्या में सुरसरिता का प्रवाह किया। इसके साथ ही पं.केशवशर्मा ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी द्वारा रचित बांग्ला वंदना के हिन्दी अनुवाद हे शंकरी, हर सुन्दरी, भव दुख हरी जगतअंब की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
सदन के आग्रह पर शहर के प्रख्यात संगीतज्ञ रफीक सागर ने भी भजो रे मन राम गोविंद हरे की सुरमीय प्रस्तुति देकर श्रोताओं की प्रशंसा प्राप्त की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में जन शिक्षण संस्थान के चेयरमैन अविनाश भार्गव ने कहा कि संगीत तो प्रभु की भक्ति के लिए हृदय के द्वारा खोल देता है। हम सब इस जगत की गाड़ी के यात्री मात्र हैं और हमारे स्टेशन निश्चित हैं। इसलिए निर्लिप्ता और निस्वार्थ भाव से अपना सफर तय करें।
संयोजन करते हुए संस्था परिवार के ओमप्रकाश सुथार ने कला सृजनमाला के प्रयोजन एवं अब तक हुए आयोजनों से आगंतुकों को अवगत कराया।
अंत में एडवोकेट गिरिराज मोहता ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करत हुए कला सृजनमाला के आगामी आयोजनों में भी उत्साहवर्द्धन हेतु आग्रह किया।
इस अवसर पर शहर के प्रबुद्धजन एवं संस्था परिवार के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता रही।

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