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बीकानेर,जेल की भूमि बेचने का न्यास अध्यक्ष और कलक्टर ने फिर से बीड़ा उठाया है। यह जनहित में और सराहनीय कदम है। करीब एक दशक से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। इससे इस जमीन से होने वाला बीकानेर का विकास अवरूद्ध है। यह कोई छोटा काम नहीं है। कई कलक्टर और न्यास अध्यक्ष यह काम नहीं कर पाएं है। उनको इस काम में विफलता ही हाथ लगी है। वर्तमान कलक्टर एवं न्यास अध्यक्ष ने सोच समझकर ही नई पहल की होगी। इससे दो सौ सवा दो सौ करोड़ की पूर्व में आय अनुमानित की गई थी। अभी भी डी एल सी रेट ज्यादा बढ़ी नहीं तो भूमि विक्रय आसान रहेगा। सवाल उठता है कि भूमि विक्रय के लिए न्यास अध्यक्ष ने यह कैसा संवाद किया है ? संवाद आयोजन की सार्वजनिक सूचना ही नहीं दी और चंद लोगों के साथ रविवार को संवाद आयोजित कर लिया। जेल की जमीन बेची जाएगी इसके लिए संवाद से पहले न्यास अध्यक्ष को यह सूचना आम करनी थी। प्रदेश के बड़े बिल्डर्स, निवेशक या प्रवासी निवेशकों को भी सूचना दी जानी चाहिए थी। क्या जिला कलक्टर को जेल की जमीन के लिए इतने ही निवेशक संवाद के लिए मिले ? क्या ये अभी तकनीकी और वित्तीय दृष्टि से संवाद में सक्षम थे ? यह संवाद तो अंदर खाने की बात हुई। न्यास अध्यक्ष और जिला कलक्टर इस भूमि को लेकर चाहते क्या हैं? यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। पहले जनता के बीच यह तो साफ बताना ही चाहिए। न्यास ने 2014 से 16 के बीच राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निविदाएं निकालकर विक्रय की योजना बनाई गई थी। पहले विक्रय की योजना को लेकर जो काम हुआ था वो अब कैसे अप्रासंगिक हो गया है। न्यास के पास कोई योजना है या खरीददार ही अपने हिसाब से खरीददारी कर पाएंगे ? वैसे पुरानी जेल भूमि को निवेशकों के लिए अधिक उपयुक्त बनाने और इसके बेहतर विकास का प्रशासनिक अधिकारियों और निवेशकों के बीच संवाद फौरी तौर के सुझावों के अलावा ज्यादा सार्थक नहीं रहा। तकनीकी रूप से सक्षम और बड़ा निवेशक, बिल्डर और योजनाकार इस संवाद में शामिल नहीं हुए। जिला कलक्टर का क्या विजन है ? कहीं दिखाई नहीं दिया। नक्शा जरूर प्रस्तावित किया गया। जेल की जमीन बीकानेर शहर के लिए महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट रहा है। जेल की जमीन पर बाजार की आधारभूत संरचना का खाका खींचा हुआ है। न्यास सभागार में निवेशकों को बुलाकर जिला कलक्टर और नगर विकास न्यास अध्यक्ष ने अवगत करवाया कि पुरानी जेल भूमि के विक्रय और आवश्यकता के अनुसार मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, हॉल रेस्टोरेंट, शो रूम आदि बनाए जाने के उद्देश्य से संवाद रखा गया। निवेशकों से भी सुझाव मांगे गए। क्या इन सुझावों के आधार पर आगामी रूपरेखा बनाई जा सकेगी। कोई ठोस और क्रियान्वित योग्य सुझाव है भी ?या संवाद की औपचारिकता हुई है ?यह कितना उचित है यह बात तो न्यास अध्यक्ष ही जानते है। वैसे यह काम मार्केट डेवलप करने वाली कंपनियां बखूबी करती है।
एक दशक से ज्यादा समय से जेल की जमीन न्यास के पास है। न्यास में ऐसा कोई सक्षम अधिकारी नहीं आया कि प्लान बनाकर इसका विक्रय कर दें। जेल की कुल जमीन का क्षेत्रफल 32 हजार 301 वर्गमीटर है। इसमें पार्किंग व सड़क का क्षेत्रफल 11 हजार 993 वर्गमीटर है। बाकी 20 हजार 308 वर्गमीटर क्षेत्रफल विक्रय के लिए (फोर सेल ) है। यह जमीन हर्ट ऑफ सिटी है। फिर भी भूमि का बेचाना नहीं हो पाया। एक तरफ तो न्यास ने संवाद में सुझाव मांगे हैं और दूसरी तरफ न्यास का कहना है कि निवेशकों की सुविधा के लिए न्यास ने बड़े ब्लाक्स के रूप में भू निस्तारण नियम में वर्णित रीति के अनुसार भूमि विक्रय करने की योजना बनाई है, जिसमें बिल्डिंग बाईलॉज के अनुसार अधिकतम निवेश के लिये प्लाट्स के साईज को भी पुनः निर्धारित किया जाएगा। जो भी हो न्यास का जेल की भूमि बेचने का इस संवाद में न्यास प्रशासन का विजन सामने नहीं आया। फिर भी जिला कलक्टर न्यास अध्यक्ष पहले से बेहतर जेल भूमि प्रकरण में करके दिखाए तो बीकानेर उनको याद करेगा।

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