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जयपुर:149 आरपीएस के तबादलो में से अधिकांश विधायको की सिफारिशों पर तबादले हुये है।*

जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर प्रदेश में पुलिस जवाबदेय कमेटी बनाई गई है। 14 अक्टूबर को घोषित इस कमेटी का अध्यक्ष जस्टिस एस.आर. कुडी को बनाया गया है जस्टिस एडीजी हवा सिंह घुमरिया सदस्य सचिव होगे। इसी प्रकार गोपाल सिंह मेघवाल, सुनीता भाटी और अजीज दर्द को सदस्य बनाया गया हैं। इस कमेठी का उदेद्श्य पुसिस को जवाबदेय बनाना हैं। इस 14 अक्टूबर को ही प्रदेश के 149 आरपीएस की तबादला सूची भी जारी हुई। इस सूची के अधिकांश तबादले सत्तारूढ काग्रेस पार्टी और सरकार को समर्थन देने वाले विधायको की सिफारिश से हुये है। सवाल उठता है कि जब पुलिस अधिकारियों के तबादले विधायको की सिफारिश पर होगें तब पुलिस जवाबदेय कैसे बनेगी?

राजस्थान के डीजीपी एम एल लाठर इसी माह 31 अक्टूबर को रिटार्य हो रहे है। लाठर चाहते थे कि कार्यकाल के अन्तिम समय में कानून व्यवस्था और प्रशानिक नजरिये से तबादले हो, लेकिन लाठर अपनी यह इच्छा पूरी नही कर सकें। मुख्यमंत्री कार्यालय से जो दिशा निर्देश मिले, उसी के अनूरूप लाटर को 149 आरपीएस की तबादला सूची जारी करनी पडी है। सब जानते हैं कि आ.ए.एस. और आर.पी.एस. के तबादले के लिए विधायकगण मुख्मंत्री कार्यलय में ही अपने पंसददीदा अधिकारी का नाम नोट करवाते हैं। बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्मिक और पुलिस विभाग को सूची भेजी जाती है। यही वजह है कि मुख्य सचिव और डीजीपी दफ्तर के मुकाबले में मुख्यमंत्री का कार्यालय ज्यादा ताकतवर होता है। कोई भी मुख्य सचिव और डीजीपी, सीएम कार्यालय के दखल का विरोध इसलिए नही करता, क्योकि वे स्वयं भी सीनियर अधिकारियों को लांघ कर मुख्यमंत्री की सिफारिश से नियुक्त होते हैं। मुख्य सचिव और डीजीपी को पता है कि ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर किस तरह नियुक्तियां पाई जाती हैं। जब पुलिस में इतना राजनीतिक दखल हो, तब जवाबदेय की बाते बेमानी हैं। यदि सही मायने में पुलिस को जवाबदेय बनाना है तो तबादले का अधिकार डीजीपी को मिलना चाहिए। यह तभी संभव है जब डीजीपी भी अपनी वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर नियुक्तियां पायें। सब जानते है कि एम एल लाठर को किसने आईपीएस की वरिष्ठता को लांघ कर राजस्थान का डीजीपी बनाया गया।

सीएम गहलोत ने जिस राजनीतिक तरीके से लाठर को डीजीपी बनाया किसी से छिपा नहीं है। जुलाई 2020 में हुये सियासी संकट के समय लाठर कानून व्यवस्था के प्रभारी थे। कोरोना संकट की आड लेकर कई बार प्रदेश की सीमाओं को सीज किया गया। यदि राजस्थान से बाहर जाने वाली सडकों पर पुलिस का पहरा नही होता तो जुलाई 2020 में 18 नहीं, 30 विधायक दिल्ली पहुंच जाते लाठर को अपनी जवाबदेय का ईनाम ही मिला।

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