बीकानेर,शरद पूर्णिमा के साथ ही शुरू हुए त्यौहारी सीजन में शहर में अनेक जगह शाम होते ही जुए के बाजार सजने लगते हैं।शहर के अंदरुनी इलाके में देर रात तक जुए पर लाखों रूपए के दांव लगते हैं।हालांकि देर रात को पुलिस की गश्त होने के बावजूद भी ये जुआरी खुलेआम दांव लगाने से नहीं चूकते। जुएबाजी के इन ठिकानों पर सिर्फ बीकानेर ही बल्कि आस पास के गांवों कस्बो से लोग परंपरा के नाम पर दांव लगाते हैं । शहर के नथानियो की सराय,मोहता चौक,हरिजन मौहल्ले में तो जुएं पर बारह महीने दांव लगाया जाता है। वहीं स्वामी मौहल्ला, बारह गुवाड़,नत्थूसर गेट चौपटे,जुगल भवन, आचार्यों के चौक,दम्मानी चौक, मूंधडो के चौक, हर्षो के चौक समेत शहर के ऐसे अनेक इलाके है जहां बड़े स्तर पर जुएबाजी के ठिकाने चल रहे है। जानकारी में दिवाली के दौरान बीकानेर में करोड़ों रुपए का जुआ होता हैं।
पुलिस से बचने के लिए खुद का है मुखबिर तंत्र
इसके अलावा जहां जुआ खिलाया जाता है वहां ठिकाने के आसपास के इलाके में के आस पास इनका आदमी मुखबिरी करता है,जो पुलिस के साथ हर आने जाने वाले पर पैनी नजर रखते है। कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आते ही ठिकाने पर बैठे जुआरियों को फोन पर अलर्ट कर दिया जाता है। इन जुओ के अड्डों पर जुआरियों को सुरक्षा के साथ जुआरियों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है यहां तक नगदी खत्म होने पर मोटे ब्याज पर जुआ खेलने के लिए फाइनेंस पर रकम उपलब्ध करवा देते है।
घोड़ी का है ज्यादा चलन
बीकानेर में घोड़ी यानी पासे का सबसे ज्यादा चलन है। इसके अलावा तीन पत्ती, अंदर बाहर, पासे पर जुआ खेले जाने का चलन है। जिन पर लाखों रूपये के दाव लगते हैं लेकिन चिंता की बात ये है कि परंपरा के नाम पर शहर के अंदरुनी इलाके में लगने वाली भीड़ में ज्यादा संख्या छोटे बच्चों और युवाओं की है जो जुएबाजी की लत से अपना भविष्य तबाह कर रहे है।