बीकानेर,साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में बुधवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में शाश्वत नवपद ओली पर्व के तहत साधु पद का पूजन वंदन किया गया। छतीसगढ़ रत्न शिरोमणि, गुरुवर्या साध्वीश्री मनोहरश्री म.सा. की 17 पुण्यतिथिपर उनके आदर्शों का स्मरण किया गया। गुरुवार को उपासरे में सुबह नौ बजे भक्तामर महापूजन होगा व पूर्वान्ह सामूहिक आयम्बिल तपस्या होगी।
शाश्वत नवपद ओली पर्व के तहत बुधवार को साधु पद ’’णमो लोए सव्व साहूणम््’’ का वर्णन करते हुए साध्वीश्री मृगावती ने कहा कि जैन धर्म में अरिहंत, सिद्ध सहित विभिन्न पदों को प्राप्त करने के लिए पांच महाव्रतधारी साधु व साध्वीवृंद पहला कदम है। साधु-साध्वी 27 गुणों से विभूषित वंदनीय व नमनीय है। उन्होंने अपनी गुरुवर्या मनोहरश्री की वंदना करते हुए उनके सिद्धान्त ’’कम खाओ, गम खाओं व नम जाओं’’ का स्मरण दिलाया। उन्होंने कहा कि फलौदी के लोहावट में लौकिक देह धारण कर, मात्र 12 साल की उम्र में दीक्षा ग्रहण कर गुरुवर्या मनोहरश्री ने छतीसगढ़ में जैन धर्म के सभी पंथ व सम्प्रदायों का सम्मान किया। छतीसगढ़ शिरोमणि की उपाधि से अलंकृत हुई। उन्होंने 42 शिष्याओं को दीक्षित कर जैन शासन की प्रभावना में श्रीवृद्धि की।
वरिष्ठ श्रावक सूरज राज जैन ने साध्वीश्री मनोहरश्री की यादों का स्मरण करते हुए कहा कि साध्वीश्री मनोहरश्री ने पांच महाव्रतों की श्रेष्ठ पालना करते हुए धर्म, आध्यात्म,साधना, आराधना में जीवन बिताया । बसंत पंचमी के दिन जन्मी पार्वती ने 17 वर्ष तक जैन आगमों का अध्ययन कर उन्हें कंठस्थ किया तथा अपने ज्ञान के आलौक से जैन धर्म को आलौकित किया। साध्वीश्री नित्योदया व विचक्षण महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष विजयचंद खजांची परिवार की ओर से श्रीमती किरण व सुनीता खजांची तथा गुरुभक्त मंडल की ओर से गोगोलाव के संतोष चंद व श्रीमती सुशीला देवी की स्मृति में सुनीता बोथरा दुग्गड़ ने प्रश्नोत्तरी में अव्वल रहे श्रावक-श्राविकाओं को सम्मानित किया। पूर्व में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, राजेन्द्र लूणिया,अशोक गोलछा, रंजन खजांची व कुशल दुगड़ तथा चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक निर्मल पारख आदि ने दीप प्रज्जवलित कर व पुष्प चढ़ाकर साध्वी मनोहरश्री को भावांजलि व श्रद्धांजलि दी।