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बीकानेर,चुनावों का मौसम नजदीक है. ऐसे में पार्टियों और नेताओं की सियासी यात्राओं का दौर शुरू हो गया है. आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के जमाने में भी नेता बैक टू बेसिक्स यानी जनसंपर्क के सबसे पुराने फॉर्मूले पर लौट रहे हैं.पिछले महीने राहुल गांधी ने 3,570 किलोमीटर की कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो’ यात्रा शुरू की थी. रविवार को दो और यात्राएं शुरू हुईं, जिनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुआई में बीजू जनता दल (बीजेडी) की जन संपर्क पदयात्रा और पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से बिहार के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की 3,500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शामिल है.

पटनायक ने भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर के पास गांधी जयंती के मौके पर जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें बीजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं से ओडिशा के विकास के लिए साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया. दूसरी ओर, प्रशांत किशोर यात्रा के दौरान बिहार के हर पंचायत और ब्लॉक तक पहुंचने की कोशिश करेंगे, जिसे पूरा होने में 12 से 15 महीने लग सकते हैं.

किशोर ने भितिहरवा गांधी आश्रम से मार्च की शुरुआत की, जहां से महात्मा गांधी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. जैसे ही चुनावी रणनीतिकार और उनके समर्थकों ने पदयात्रा शुरू की, रास्ते में लोगों ने उनका स्वागत किया.कर्नाटक पहुंची भारत जोड़ो यात्रा

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का आज 26वां दिन है और तमिलनाडु और केरल से होते हुए कर्नाटक में पहुंच गई है. कांग्रेस ने कहा कि यह भारतीय राजनीति के लिए परिवर्तनकारी और पार्टी के कायाकल्प के लिए ‘निर्णायक मौका’ है.

चंद्रशेखर ने भी की थी यात्रा

वर्ष 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भारत यात्रा के तहत कन्याकुमारी से पैदल मार्च शुरू किया था. यह यात्रा 6 जनवरी, 1983 को शुरू हुई थी और छह महीने बाद नई दिल्ली पहुंची थी. हालांकि, पर्यवेक्षक चंद्रशेखर की पदयात्रा को काफी हद तक सफल घटना मानते हैं, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या ने 1984 के आम चुनाव में इसके प्रभाव को कम कर दिया था.

राजीव गांधी ने की थी ये घोषणा

तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने 1985 में मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में संदेश यात्रा की घोषणा की थी. अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने इसे पूरे देश में चलाया था. प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) और पार्टी के नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राएं कीं. तीन महीने से अधिक समय तक चली यह यात्रा दिल्ली के रामलीला मैदान में पूरी हुई.

आडवाणी ने निकाली थी रथ यात्रा

बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की अगुआई में 1990 में की गई रथ यात्रा ने राम मंदिर आंदोलन को रफ्तार देने के लिए निकाली गई थी. सितंबर 1990 में शुरू हुई यात्रा 10,000 किलोमीटर की दूरी तय करने और 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में खत्म होने वाली थी. इसे उत्तरी बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया गया था और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया था.
कई राजनीतिक दलों ने अपनाया है फॉर्मूला

राजनीतिक दलों ने कई अन्य यात्राएं निकाली हैं जैसे 1991 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की अगुआई में एकता यात्रा, अप्रैल 2003 में कांग्रेस नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी की 1,400 किलोमीटर लंबी पदयात्रा, 2004 में आडवाणी की ‘भारत उदय’ यात्रा, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के छह साल के शासनकाल की उपलब्धियों के बारे में बताया गया था. हालांकि नेताओं की इन यात्राओं से उन्हें कितना राजनीतिक फायदा मिलेगा, फिलहाल इसका जवाब नहीं है लेकिन आने वाले चुनावों में स्थिति सबके सामने होगी.

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