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बीकानेर, साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में रविवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में विविध धार्मिक कार्यक्रम हुए। बच्चों ने विशेष शिविर में जैन धर्म व संस्कृति का ज्ञान लिया तथा अपनी धर्म-आध्यात्म संबंधि जिज्ञासाओं दूर किया। नवपद ओली में रविवार को ’’सिद्ध पद की’ साधना, आराधना व भक्ति की गई। भक्तामर महापूजन व अभिषेक में 41 व 42 वीं गाथा का पूजन अभिषेक दादा गुरुदेव, माता चक्रेश्वरी के जयकारों व नवंकार महामंत्र के जाप के साथ हुआ।

ृ भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान में श्री सुगनजी महाराज उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, राजेश-नीतू, देवेन्द्र-पिंकी, मनोज-मोनिका, कांति देवी (पूनी बाई), स्वरूप देवी, लक्ष्मी देवी, जैनम, मनन, व नमन (बैंकाक से वर्चुअल माध्यम से), नीतू सोनावत, डॉ.सुधा नाहटा, श्रीमती बसंतपाल नाहटा, श्रीमती अंजू नाहटा ने दादा गुरुदेव का अभिषेक, पूजा, व मंगल आरती की। राजेश नाहटा ने दादा गुरुदेव को समर्पित भक्ति रचना प्रस्तुत की जिसे कुशल दुग्गड़ सहित उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं ने गाकर वातावरण को पूर्ण भक्तिमय बना दिया। भक्तामर महापूजन का समापन सोमवार को 43 व 44 गाथा के पूजन से होगा।
साध्वीश्री मृगावती ने नवपद ओली के प्रवचन में कहा कि आठ कर्म ज्ञानावर्णीय, दर्शनावर्णीय, वेदनीयकर्म,मोहनीयकर्म, आयुष्कर्म, नामकर्म, गौतरकर्म, विर्यान्तराय कर्म से मुक्त होने पर आत्मा सिद्ध प्रभु के रूप में प्रतिष्ठित होती है। जो आत्मा अनंतकाल तक ज्ञान, दर्शन व चारित्र में रमण करती है, आहार संज्ञा से मुक्त होती है। सिद्ध बनने वाला किसी का साथ नहीं चाहता वह तो निर्भीक होकर अपने गंतव्य स्थल की ओर बिना रुके कदम बढ़ाता रहता है। ’’ऊं हृी नमो सिद्धाणम््’’ का जाप करने से रोग,शोक व दोष दूर होते है तथा सुख व समृद्धि मिलती है। भक्तामर स्तोत्र के श्लोकों का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि 41 व 42 वीं गाथा के श्लोकों का जाप करने से किसी तरह का भय नहीं रहता । ज्ञानी व परमात्म भक्त, विपरीत परिस्थितियों में भी भक्ति की शक्ति व बल को नहीं छोड़ते । सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना खाली नहीं जाती। परमात्म भक्ति व प्रार्थना में संकल्प-विकल्प नहीं शुद्ध अनन्य भाव होने चाहिए। सूर्योदय से अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही परमात्म भक्ति से अशुभकर्म, पापकर्म मिट जाते है, साधक सिद्धपद की साधना में अग्रसर होता है।

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