बीकानेर,वरिष्ठ चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ. शंकरलाल स्वामी की राजस्थानी भाषा में लिखित दो पुस्तकों का लोकार्पण शनिवार एक अक्टूबर को जिला उद्योग संघ भवन में किया गया । लोकार्पण समारोह के समन्वयक पूर्व प्राचार्य, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने बताया कि डॉ. शंकरलाल स्वामी की दोनों राजस्थानी कृतियों- उदेई (काव्य संग्रह) तथा पीड़ री पोथी (राजस्थानी गद्य) का विमोचन भारतीय जीवन बीमा निगम के बीकानेर मंडल के वरिष्ठ मंडल प्रबंधक बी.आर. पंवार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य लीड बैंक प्रबंधक एम. एल. पुरोहित, वरिष्ठ नागरिक समिति के उपाध्यक्ष शिवनाथ सिंह एवं वरिष्ठ नागरिक समिति के महासचिव एस.पी. गुप्ता के करकमलों द्वारा किया गया ।
लोकार्पण समारोह के समन्वयक प्रो. डॉ. बिनानी ने दोनों लोकार्पित पुस्तकों की विशेषता बताते हुए कहा कि डॉ. शंकरलाल स्वामी की इन दोनों पुस्तकों की भूमिका व प्राक्कथन उन्होंने स्वयं ही लिखा है । दोनों पुस्तकों के लेखक डॉ. शंकरलाल स्वामी ने अपनी लेखन यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने विद्यार्थी जीवन से ही वर्ष 1958 से लेखन कार्य शुरु किया था जो आज तक निरंतर जारी है । वे हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में कविता, गीत, गजल, कहानी, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, रेखाचित्र, अनुवाद, स्वतंत्र लेख, आलेख, व्यंग्य आदि सहित साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य कर रहे हैं । डॉ. स्वामी की इन दो पुस्तकों का लोकार्पण होने के साथ ही उनकी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अब तक हिन्दी में 10 व राजस्थानी में 8 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है । अपनी लोकार्पित पुस्तकों के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. स्वामी ने बताया कि उन्होंने राजस्थानी भाषा में गद्य अधिक तथा पद्य कम लिखें है । अपनी उदेई नामक काव्य संग्रह पुस्तक की चर्चा करते हुए डॉ. स्वामी ने उसकी एक रचना ”कविता मन रो भाव, चित्त री संवेदणा, बुद्धि रो विकास, अहंकार री तुष्टि” सुनाई । डॉ. स्वामी ने अपनी राजस्थानी गद्य की विमोचित दूसरी पुस्तक पीड़ री पोथी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसमें उनकी पूर्व में राजस्थानी भाषा में कविता, गीत, गजल, कहानी, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, रेखाचित्र, अनुवाद, स्वतंत्र लेख, आलेख, व्यंग्य आदि सहित साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रकाशित पुस्तकों की प्रतिनिधि रचनाओं का समावेश किया गया है ।
लोकार्पण समारोह के अवसर पर डॉ. मोहम्मद फारूक, डॉ. नरसिंह बिनानी, बी. पी. गुप्ता, शक्तिनंदन भनोत, जिला उद्योग संघ के पूर्व अध्यक्ष सुभाष मित्तल, वरिष्ठ उद्यमी रामदेव अग्रवाल, डॉ. प्रभा भार्गव, डॉ. मधुसूदन व्यास, इंद्रा मिश्रा, योगगुरु कन्हैया लाल सुथार, श्रीमती मधुरिमा सिंह, विष्णु सेवग,अरुणा भार्गव आदि सहित सैकड़ों की संख्या में साहित्यकार और गणमान्यजन उपस्थित थे ।
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