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बीकानेर,बुजुर्गों के मुकाबले अब युवाओं का दिल कमजोर हैं। हार्ट अटैक के शिकार अत्यधिक युवा ही हो रहे हैं, जिनकी उम्र 25 से 40 साल हैं। पीबीएम अस्पताल से संबद्ध हल्दीराम मूलचंद कार्डियो वेसक्युलर एंड रिसर्च सेंटर में हार्ट की बीमारी से ग्रसित होकर युवा अधिक पहुंच रहे हैं। हार्ट हॉस्पिटल की रोजाना की 450-500 की ओपीडी में युवाओं की संख्या 68 फीसदी हैं जो चिंता की बात है। यह संख्या डराने के साथ-साथ चेताने वाली भी है। चिकित्सकों के मुताबिक युवाओं में ड्रग्स व धूम्रपान के शौक ने दिल को कमजोर कर दिया है। अब युवाओं का दिल तनाव व खुशी दोनों को झेल नहीं पा रहा।

कोविड-19 के बाद दिल के रोगियों में 14% तक बढ़ोतरी हुई है और इनमें ज्यादातर युवा ही हैं। वह भी महज 30 से 40 साल के। भारत ही नहीं देशभर में एक-तिहाई लोगों की मौत दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हो रही है। पिछले चार-पांच साल से दिल के रोगियों में सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं अब युवा भी शामिल हो गए हैं।

जनरल के आंकड़े डरावने

चिकित्सकों की दिल की बीमारियों पर की गई चिकित्सा जगत के रिसर्च जनरल में छपी। इस जनरल में दिल से होने वाली मौतों की तस्वीर साफ कर दी। 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोग दिल संबंधी बीमारियों की चपेट में थे। इसमें से 2.3 करोड़ लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 40 साल से कम है। ऐसी ही एक स्टडी 2018 में भी आई थी. तब साइंस जर्नल लैंसेट ने दिल की बीमारियों से जुड़े 1990 से 2016 तक के आंकड़े जुटाए थे. इस स्टडी में दावा किया गया था कि 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों में से 15.2 प्रतिशत का कारण दिल की बीमारी थी। 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 28.1 प्रतिशत हो गया। 2016 में भारत में होने वाली हर 100 में 28 मौत का कारण दिल की बीमारी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 2019 में दुनियाभर में 1.79 करोड़ मौतें दिल की बीमारियों के कारण हुई, इनमें से 85 प्रतिशत मौत केवल हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक से हुई थी।

हर तीसरे छठे मरीज की मौत
हार्ट हॉस्पिटल के आंकड़ों के मुताबिक यहां रोजाना की 450-500 की ओपीडी है। 30-35 मरीज रोज भर्ती होते हैं। हर तीसरा मरीज हार्ट अटैक के कारण भर्ती हो रहा है। युवाओं में हार्ट अटैक का अनुपात 2005 में 18 से 20 प्रतिशत था जो बीते चार सालों में 35-40 प्रतिशत हो गया है। प्रतिदिन भर्ती होने वाले मरीजों में से 20-25 प्रतिशत की मौत हो जाती है। यानि हर दिन पांच मरीज मर रहे हैं।

यह उपचार हर दिन
– एंजियोग्राफी 15-20
– एंजियोप्लास्टी 6-8
बाइपास सर्जरी व वॉल्व सर्जरी आउटसोर्स टीम से 450 ऑपरेशन हो चुके हैं। मेदांता अस्पताल की टीम डॉ. नरेश त्रेहान की टीम आती है।

हार्ट हॉस्पिटल में यह सुविधा
– एंजियोग्राफी
– एंजियोप्लास्टी
– स्टेंडिंग
– प्राइमरी एंजियोप्लास्टी
– हृदय अटैक के मरीज की एंजियोप्लास्टी
– पेसमेकर प्रत्यारोपण
– काडिर्यक अरेस्ट का प्रत्यारोपण
– एआईसीबी
– सीआरटी-भी
– हृदय छेद को बंद करना। डिवाइस क्लोजर एएसबी-पीडीए
– एंजियोग्राफी की ओर से वॉल्व प्रत्यारोपण (टावी)

इनका कहना है…
युवाओं में प्रमुख कारण धूम्रपान का सेवन है, जिसके चलते हृदय संबंधी बीमारी बढ़ रही है। 25 से 35 साल की उम्र के युवा अटैक के शिकार हो रहे है। भर्ती होने वाले मरीजों में 30-35 प्रतिशत में अटैक हो रही है, जिसमें 20 प्रतिशत की मौत हो रही है जो चिंता की बात है। युवाओं को अपनी लाइफ स्टाइल बदलनी होगी। भारत में हार्ट से मरने वाले 10 से से चार मरीजों की उम्र 40 हैं।
डॉ. पिन्टू नाहटा, विभागाध्यक्ष हार्ट हाॅस्पिटल

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