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बीकानेर, डूंगर कॉलेज के संस्कृत विभाग में पंडित रवि प्रकाश शर्मा का दुर्गा पूजा की विधि और दुर्गा सप्तशती का महत्त्व विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी .पी. सिंह जी ने मुख्य वक्ता ज्योतिषाचार्य रवि प्रकाश जी का स्वागत करते हुए कहा कि बहुत प्रसन्नता की बात है कि यह हमारे पूर्व विद्यार्थी आज हमारे यहॉं विशिष्ट वक्ता के रूप में पधारे हैं। नवरात्रि का समय दुर्गा पूजा का समय होता है इस पावन अवसर पर दुर्गा पूजा विधि पर व्याख्यान एक बहुत पुण्य का कार्य है।
मुख्य वक्ता ने षोडशोपचार पूजा विधि समझाई और बताया कि सप्तशती एक ऐसा वाहन है जिसका सम्यक
प्रयोग करके गंतव्य मार्ग पर भक्त पहुंच सकते हैं। दुर्गा सप्तशती मूलतः 700 श्लोकों का समूह है लेकिन आज के युग में व्यक्ति के पास समय की कमी होने के कारण यदि वह मात्र सप्तश्लोकी का पठन-पाठन कर ले तो भी वह दुर्गा पूजा का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकता है।
इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में इसी महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राज नारायण व्यास जी ने
कहा कि भौतिक विषयों के साथ – साथ आध्यात्मिक विषय से संबंधित ग्रंथों का पारायण करके मनुष्य का सर्वांगीण विकास हो सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नंदिता सिंघवी ने कहा कि दुर्गा सप्तशती दुर्गा आराधना का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है, इसमें दुर्गा के विभिन्न गुणों का व्यापक वर्णन हुआ है, अतः यह दुर्गा का शाब्दिक शरीर ही है। इस अवसर पर हाल ही में पीएच.डी. डिग्री प्राप्त शोधार्थी डॉ. अंजु शर्मा का संस्कृत विभाग द्वारा अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री केसरमल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. श्यामा अग्रवाल ने किया।

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