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बीकानेरजोधपुर। बिना किसी अधिकारिता एक बच्चे की अभिरक्षा दादा से लेकर मां को सौंपने के मामले में बीकानेर संभागीय आयुक्त नीरज के पवन मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए। संभागीय आयुक्त ने अपना स्पष्टीकरण देने के लिए समय मांगा जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अगली तिथि 13 अक्टूबर मुकर्रर की है। न्यायाधीश विजय विश्नोई तथा न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ में बच्चे के दादा तथा चाचा की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश की गई। याचिका की सुनवाई के दौरान संभागीय आयुक्त पवन के अलावा बच्चा और उसकी मां भी पेश हुए। कोर्ट ने बच्चे से बात की तब उसने फिलहाल मां के साथ रहने की इच्छा जताई। इस पर कोर्ट ने बच्चे को सुनवाई की अगली तिथि तक मां की अभिरक्षा में रखने को कहा है। अगली सुनवाई पर मां बच्चे सहित बीकानेर संभागीय आयुक्त पवन को भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा। उल्लेखनीय है कि संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने एक मां के परिवाद पर बच्चे की अभिरक्षा मां को सौंप दी थी। याचिका में दादा ने आरोप लगाया कि वर्ष 2013 में उनके बेटे के निधन के बाद बच्चे की परवरिश वही कर रहे हैं। बच्चे की मां उसे छोड़कर चली गई थी जबकि संभागीय आयुक्त ने बिना किसी अधिकार सिविल डिफेंस के एक अधिकारी को भेज कर बच्चे को स्कूल से बुलवाया तथा उसकी अभिरक्षा मां को सौंप दी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनका पक्ष नहीं सुना गया। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बिना किसी अधिकार बाल अभिरक्षा में संभागीय आयुक्त हस्तक्षेप पर कड़ी टिप्पणी की थी।

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