
बीकानेर,श्री श्याम मंदिर खेजड़ली धाम राजासर उर्फ करनीसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक राधिका दीदी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और गोर्वधन पूजन का भजनों सहित विस्तार से वर्णन किया.उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म लेकर भी जो व्यक्ति पाप के अधीन होकर इस भागवत रुपी पुण्यदायिनी कथा को श्रवण नहीं करते तो उनका जीवन ही बेकार है और जिन लोगों ने इस कथा को सुनकर अपने जीवन में इसकी शिक्षाएं आत्मसात कर ली हैं तो मानों उन्होंने अपने पिता, माता और पत्नी तीनों के ही कुल का उद्धार कर लिया है. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने गौवर्धन की पूजा करके इद्र का मान मर्दन किया. भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का साधन गौ सेवा है. श्रीकृष्ण ने गो को अपना अराध्य मानते हुए पूजा एवं सेवा की. याद रखो, गो सेवक कभी निर्धन नहीं होता. श्रीमद्भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन है। यह कथा बड़े भाग्य से सुनने को मिलती है। इसलिए जब भी समय मिले कथा में सुनाए गए प्रसंगों को सुनकर अपने जीवन में आत्मसात करें, इससे मन को शांति भी मिलेगी और कल्याण होगा। कलयुग में केवल कृष्ण का नाम ही आधार है जो भवसागर से पार लगाते हैं। परमात्मा को केवल भक्ति और श्रद्धा से पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन इस संसार का नियम है यह संसार परिवर्तनशील है, जिस प्रकार एक वृक्ष से पुराने पत्ते गिरने पर नए पत्तों का जन्म होता है, इसी प्रकार मनुष्य अपना पुराना शरीर त्यागकर नया शरीर धारण करता है। ज्ञान यज्ञ में भक्तगण बाल कृष्ण गोपाल की लीलाओं को सुन आनंद से झूम रहे थे, उत्सव मना रहे थे। उन्होंने शृद्धालुओं को बताया कि बाल गोपाल ने अपनी अठखेलियों से अपने बाल स्वभाव के तहत मंद-मंद मुस्कान व तुतलाती भाषा से सबका मन मोह रखा था. उन्होंने अपने सखाओं संग मटकी फोड कर चोरी छुपे माखन खात हुए यशोदा मैया एवं गोपियों को अपनी शरारतों से प्रेम व वात्सल्य से बांधे रखा. कृष्ण ने अपनी अन्य लीलाओं से पूतना, बकासुर, कालिया नाग, कंस जैसे राक्षसों का वध करते हुए अवतरण को सार्थक किया तथा त्रेतायुग में धर्म का प्रकाश फैलाया. साथ ही गोवर्धन महाराज की पूजा हेतु उससे संबंधित पूरे वृतान्त को भी उपस्थित भक्तगणों को बताया. इस अवसर पर भक्तों ने छप्पन भोगों का अर्पण किया और झांकियों सहित धूमधाम से गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।