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बीकानेर,कुछ सालों पहले तक पितृ पक्ष के पखवाड़े में हर घर में किसी न किसी दिन पितरों की पुण्यतिथि पर पूजा-अर्चना कर ब्राह्मण भोज का आयोजन करने की परंपरा थी। पहले ब्राह्मण समाज के किसी भी सदस्य को आमंत्रित करने पर वे खुशी-खुशी भोज ग्रहण करने जाते थे, लेकिन अब ज्यादातर ब्राह्मणों ने पितृ पक्ष पर भोज में जाना बंद कर दिया है। इसके चलते ब्राह्मण भोज कराने का ट्रेंड बदल चुका है। ब्राह्मणों के भोज पर न जाने से अब ज्यादातर परिवार के मुखिया वृद्धाश्रम अथवा बाल आश्रम में जाकर फल-भोजन का वितरण करने लगे हैं।’’
बीकानेर। बदलते दौर में श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्म तृप्ति के लिये भोजन कराने के चलन में भी बदलाव आया है। लोग अब ब्राह्मणों के अलावा अब जरूरतमंदों को भोजन कराकर पुण्य लाभ कमा रहे हैं । इसके चलते सेवा आश्रमों में रहने वाले आश्रितों को भोजन कराने का चलन बढ़ गया है। शहर में ऐसे अनेक परिवार है जो श्राद्धपक्ष में अपने पितरों की आत्म तृप्ति के लिये रानी बाजार के अपना घर आश्रम, वृन्दावन इन्क्लेव के वृद्ध सेवा आश्रम और सामाजिक संगठनों की ओर से संचालित अनाथालयों में जरूरमंदो को भोजन करा रहे है। रानी बाजार स्थित अपना घर आश्रम के प्रभारी हनुमान सुथार ने बताया कि श्राद्धपक्ष को देखते हुए सेवाभावी परिवार के लोगों ने पहले ही अपनी बुकिंगे करवा दी थी,इसलिये २६ सितम्बर तक एक सुबह शाम भोजन की बुकिगें पहले ही हो चुकी है। इसी तरह जयपुर रोड़ के वृन्दावन एन्क्लेव स्थित वृद्धाश्रम में भी २६ सितम्बर तक श्राद्धपक्ष में सुबह शाम भोजन की बुकिंगे सेवाभावी परिवारों के लोग पहले ही करवा चुके है। इसके लिये सामान्य भोजन के लिये २७ सौ रूपये और स्पेशल भोजन के ४२ रूपये शुल्क निर्धारित है। सामान्य भोजन में सब्जी पूड़ी और स्पेशल भोजन में सब्जी पूड़ी के साथ खीर या सुजी का हलवा दिया जाता है। अपना घर आश्रम में ११० आवासी है जबकि वृद्धाश्रम में २०९ बुजुर्ग आवासी है जिन्हें प्रभु जी के नाम से जाना जाता है।

इस कारण बदल रहा है ट्रेंड
पंडित सदानंद शास्त्री का कहना है कि पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के निमित तर्पण, पिंडदान व ब्राह्मण को भोजन कराने की परंपरा है। लेकिन नई पीढी के युवा अब श्राद्ध पक्ष में भोजन करना कम पसंद कर रहे हैं। इसीलिए लोग अपने पूर्वजों के श्राद्ध तिथि के दिन असहायों और जरूरमंदों को भोजन कराने लगे हैं ।

उच्च शिक्षित युवा ब्राह्मण नहीं जाते
पंडित सदानंद शास्त्री के अनुसार अब ब्राह्मण परिवार में युवा पढ़ लिखकर अपना कैरियर बना रहे हैं। शहर में अब ब्राह्मण परिवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने पारंपरिक पूजा-पाठ को अपना रखा है। आमंत्रित करने पर आज भी ब्राह्मण भोज पर जाने को सहर्ष तैयार हो जाते हैं। अब कम लोग ही पितृ पक्ष पर 11 या 21 ब्राह्मणों को बुलाते हैं, एकाध ब्राह्मण को बुलाते हैं और वे ब्राह्मण अपनी सुविधानुसार अवश्य जाते हैं।

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