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बीकानेर राठी नस्ल सुधार परियोजना के माध्यम से राठी नस्ल की पहचान पूरे भारत में हुई है तथा राठी नस्ल की मांग में वृद्धि हुई है. यह जानकारी परियोजना के बीकानेर (Bikaner)समन्वयक डॉ. अमित सारस्वत ने दी.उरमूल ट्रस्ट तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा संचालित राठी नस्ल सुधार परियोजना के कार्य को इन्टरनेशनल डेयरी फेडरेश्न वर्ल्‍डडेयरी समिट में पोस्टर के माध्यम से समिट में प्रदर्शित किया गया. जिसमें इस पोस्टर को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है. इस कार्य को प्रदर्शित करने मे बोर्ड से डॉ. सुजीत साह, डॉ. कृष्णा मोहन बेउरा, डॉ.एमके गुप्ता, डॉ. आरओ गुप्ता, उरमूल ट्रस्ट सचिव रमेश सारण का योगदान रहा. बीकानेर (Bikaner)जिले में राठी नस्ल सुधार परियोजना का कार्य उरमूल ट्रस्ट तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से विभिन्न तहसीलों में पिछले कई वर्षो से किया जा रहा है. डॉ. अमित सारस्वत ने बताया कि राठी नस्ल सुधार परियोजना के अन्तर्गत 1 लाख से ज्यादा गायों में कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है एवं 5 हजार से ज्यादा राठी गायों में दुग्ध मापन का कार्य किया गया है और इन गायों से पैदा अच्छी गुणवत्ता के 48 राठी सांडों को भारत के विभिन्न सीमन स्टेशन पर भेजा जा चुका है. राठी गाय का जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) (Prime Minister Narendra Modi) ने समिट के उद्धाटन भाषण में भी किया. राठी गाय बीकानेर (Bikaner)जिले की देशी गाय है जो रेगिस्तान के गर्मी व सर्दी दोनों वातावरण को सहन कर लेती है तथा हरा चारा और पानी की कम उपल्बधता होने के बावजूद भी अच्छी मात्रा में दुध देती है.उरमूल ट्रस्ट बीकानेर (Bikaner)के प्रशासनिक अधिकारी चेनाराम बिश्नोई ने बताया कि इन्टरनेशनल डेयरी फेडरेश्न.(आईडीएफ) द्वारा 2022 की वर्ल्‍डडेयरी समिट का आयोजन ग्रैटर नोयडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने किया. वर्ल्‍डडेयरी समिट एक वार्षिक बैठक है जिसमें दुनिया भर से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. जिसमें डेयरी कम्पनियों के सीईओ, कर्मचारी, डेयरी किसान व डेयरी उद्योग के शिक्षाविद, सरकारी प्रतिनिधि आदि शामिल हुए.

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