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बीकानेर,अब जब 137 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को अशोक गहलोत के तौर पर अध्यक्ष मिलने की कयासबाजी चल रही है और साथ ही एक व्यक्ति – एक पद के फार्मूले की बात उठाई जा रही है तो यह जानना भी जरूरी है कि पार्टी के कद्दावर नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे और उसी दौरान, साथ ही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। वहीं सचिन पायलट पीसीसी अध्यक्ष रहते हुए उप मुख्यमंत्री बने और मानेसर कांड तक दोनों पदों पर काबिज रहे। ऐसे में अशोक गहलोत को लेकर जबरन माहौल बनाया जा रहा है। राजस्थान एक मात्र प्रदेश है जहां कांग्रेस भाजपा की आपरेशन कमल वाली डर्टी पॉलिटिक्स को मात दे पाई है। यह संभव सिर्फ और सिर्फ अशोक गहलोत की चाणक्य बुद्धि के कारण ही हो पाया था।

भाजपा के नेता अपनी हार भूले नहीं हैं और दिल्ली सल्तनत का दंभ जो गहलोत ने तोड़ दिया था उसका बदला लेने को भी आतुर हैं। भाजपा का बस चले तो मात्र एक दिन के लिए भी राज करने को मिल जाए तो बढ़िया है। ऐसे में आज यदि कोई भाजपा को उसकी ही जुबान में जवाब देने की कुव्वत रखता है तो वो अशोक गहलोत ही हैं।

वैसे कई अनुभवी नेताओं का मानना है कि अध्यक्ष पद का चुनाव और उसमें जीत पर एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू नहीं होता है क्योंकि जहां नॉमिनेट होते हैं वहां दो पद होते हैं। यानि जहां आलाकमान नॉमिनेट करते हैं वो दो पद कहलाते हैं और यह तो चुनाव है जिसमें जीतने पर ही अध्यक्षी मिलेगी। गहलोत तो वैसे ही राष्ट्रीय नेता का दर्जा रखते हैं और लगातार भाजपा पर प्रहार करते हैं। उनके जैसे नेता को यदि पार्टी की कमान मिलती है तो यह राजस्थान के लिए गर्व की बात होगी।

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