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बीकानेर,भारतीय लोकतंत्र और संस्कृति के देश के विभिन्न आचार्य, शंकराचार्य और धर्म गुरु भी उतने ही प्रहरी हैं जितने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या अन्य कोई नेता। भले ही संत समाज लोकतांत्रिक व्यवस्था में सीधे हस्तक्षेप नहीं करें, परंतु जैसे सैनिक सरहद पर रहकर देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं वैसे ही संत समाज के बीच रहकर राष्ट्र को दिशा देते हैं। राष्ट्रीय का चरित्र निर्माण करते हैं। राष्ट्रीय जीवन पर राजनीति और राजनेता हावी होने के कारण आम लोग संत जनों के इस संसार को दुर्गुणों से बचाने की बात को समझ नहीं पा रहे हैं। बेशक बहुत से राष्ट्रीय संत के योगदान से ही हमारी संस्कृति, संस्कार और आस्था बची हुई है। भारतीय साधुमार्गी शांत_क्रांति जैन श्रावक संघ के आचार्य विजयराज महाराज साहब की प्रेस के साथ संवाद कार्यक्रम में उन्होंने पत्रकारिता के मूल्य (मीडिया ), लोकतंत्र, समाज व्यवस्था, व्यक्ति के चरित्र निर्माण, शिक्षा, राजनीति, व्यापार समेत राष्ट्रीय जीवन के सभी पहलुओं पर विमर्श किया। राष्ट्रीय जीवन में अधिकार _कर्तव्य, धर्माचरण से इंसानियत, सामाजिक क्षेत्र में समभाव, सामर्थ्य से सहयोग, सकारात्मक सोच और चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण पर जोर दिया। पूरे देश में 50 वर्षों तक भ्रमण के बाद बीकानेर में चातुर्मास फरमा रहे आचार्य ने संत जीवन के 50 दशक के अनुभव बताते हुए कहा हमारे देश का लोक जीवन गहरी मानवीय और आध्यात्मिक आस्था से ओतप्रोत है। अभी आचार्य श्री के संदेश से आत्महत्या नहीं करने के 5 करोड़ लोगों से संकल्प पत्र भरवाए जा रहे हैं। हम इंसान बनेंगे ऐसा संकल्प दिलाया जा रहा है। आडम्बर से दूर रहेंगे यह संदेश दिया जा रहा है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करने, त्याग से शांति, मानवता को कैसे बचाएं रखें यह आध्यात्मिक चेतना का शंखनाद किया जा रही है। मीडिया के साथ संत और श्रावकों के संवाद से निश्चय ही राष्ट्रीय के गिरते जीवन मूल्यों की पुर्नस्थापना हो सकेगी। भारतीय साधुमार्गी शांत_क्रांति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री रिद्ध करण सेठिया और बीकानेर संघ के अध्यक्ष विजय राज लोढ़ा संत और श्रावक समाज के समन्वित प्रयासों से राष्ट्रीय जीवन को समृद्ध बनाने में सकारात्मक सोच के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के आचार्य श्री के भावों को अंगीकार करने की अपील की।

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