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बीकानेर, केन्द्र सरकार ने भारत से विलुप्त हुई चीता प्रजाति को 70 साल बाद नामीबिया से 8 चीते भारत लाकर पुनः स्थापित करने हेतु कूनो नेशनल पार्क, श्योपुर मध्यप्रदेश में छोड़ा गया है। न्यूज चैनलों व समाचार पत्रों की खबर के अनुसार इन चीतों के भोजन या शिकार के लिए राजगढ़ से चीतल व हरिणों को कूनो पार्क में छोड़ा गया है।

“जीवो जीवस्य भोजनम्” ये सारी दुनिया मानती है अर्थात् शाकाहारी के लिए शाकाहार, मांसाहारी के लिए मांसाहार.. ऐसे में हम जानते है कि चीता मांसाहारी है और अपने भोजन के लिए दुसरे जीवों पर निर्भर है, ऐसे में निश्चित तौर पर कूनो नेशनल पार्क में चीतों के भोजन के लिए अनेक प्रकार के वन्य प्राणी, वन्य जीव पहले से होंगे । इसके उपरांत भी बाहर से चीतल व हिरण लाकर छोड़ने की खबरे बेहद चिंताजनक है तथा इस खबर से बिश्नोई समाज सहित सभी समाजों के वन्यजीव प्रेमियों में भारी रोष है। इस संदर्भ में बिश्नोई समाज की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम ने समाज की भावनाओं से सरकार को अवगत करवाया है।

हम सब जानते है कि पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के लिए कोई भी जीव पृथ्वी से विलुप्त नही होना चाहिए । इस फूड चैन में एक की कमी हजारों आपदाओं को जन्म देती है । पिछले 70 बरसों से भारत में लुप्त चीता को पुनः स्थापित करने की प्रक्रिया व मांग बरसों से पारिस्थितिकी विशेषज्ञों द्वारा की जा रही थी, इस हेतु प्रक्रिया व रिसर्च पूर्ववर्ती सरकारों के समय से लगातार चल रही थी ।

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी कतई यह मंशा नहीं होगी कि एक प्रजाति को पुनः स्थापित करने हेतु दुसरी प्रजाति को विलुप्त किया जाए, क्योंकि उन्होंने स्वंय कई बार भिन्न-भिन्न मंचो पर अमृता देवी के बलिदान का वर्णन करके बिश्नोई समाज को सच्चा प्रकृ ति प्रेमी व पर्यावरण की रक्षा हेतु बलिदान देने की महान परम्परा वाला समाज बताया है तथा सदियों से पर्यावरण के लिए जान न्यौछावर करने वाले इस समाज को असली चैंपियन्स ऑफ दी अर्थ की उपाधि से नवाजा है

मंत्री, बाहर से हिरण लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ने की बात जो कुछ समाचार पत्रों में छपी है की आप स्वंय जांच करवाए और अगर यह बात सही है तो इस पर तुरन्त रोक लगाई जाए, ताकि पर्यावरण एवं वन्यजीव प्रेमी समाज की भावनाएं आहत ना हो। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप हमारे आग्रह पर गंभीरतापूर्वक विचार कर अनुग्रहित करेंगे ।

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