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बीकानेर, कृषि महाविद्यालय बीकानेर के वर्चुअल क्लासरूम में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. एस.के.गर्ग की उपस्थिति में कृषि विश्वविद्यालय एवं राजूवास के शिक्षकों, अधिष्ठाताओं, निदेशकों व वैज्ञानिकों ने भाग लेकर वर्चुअल क्लासरूम के संचालन से संबंधित सैद्धांतिक व प्रायोगिक बारीकियां सीखी। प्रो गर्ग ने बताया की शिक्षा की बेहतरी के लिए नित नये आयाम जुड़ते जा रहे हैं। वर्चुअल क्लासरूम, ब्लेंडेड लर्निंग पद्धति का भाग है, जो कि ऑनलाइन और इन-पर्सन टीचिंग व लर्निंग को जोड़ती है। वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाले वर्चुअल शिक्षण मॉड्यूल, वीडियो कैप्चर के माध्यम से वितरित व्याख्यान, वीडियो भंडार तक त्वरित पहुंच, किसी भी समय व्याख्यान का उपयोग, लाइव इंटरैक्शन/ इंटरैक्टिव लर्निंग, ऑनलाइन आकलन, व्यक्तिगत एवं समावेशी रूप से सीखने का अनुभव आदि लाभ मिलता है।

महविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ आई पी सिंह कहा की यह सिंक्रोनस ऑनलाइन लर्निंग जिसके द्वारा है पारंपरिक शिक्षण के समान ही आमने-सामने प्रत्यक्ष सीखने का अनुभव होता है। प्रशिक्षण के प्रभारी अतिरिक्त निदेशक (बीज) राष्ट्रीय बीज परियोजना डॉ एन के शर्मा ने कार्यशाला के बारें में बताया की यह नाहेप कम्पोनेंट 2ए – वर्चुअल क्लासरूम गतिविधि प्रोजेक्ट है जिसका उद्देश्य कृषि विश्वविद्यालयों के मध्य वीडियो स्ट्रीमिंग के साथ वर्चुअल क्लासरूम स्थापित करना है। इसके अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां संचालित होती है वर्चुअल क्लास रूम का निर्माण, वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मेजबानी, शेड्यूलिंग लेक्चर, केप्चरिंग लेक्चर व जनरेटिंग वीडियो लेक्चर आदि पर चर्चा हुई।

भारतीय अनुसंधान कृषि परिषद के विशेषज्ञ डॉ आर सी गोयल व इनकी टीम ने शिक्षकों वैज्ञानिकों को वर्चुअल क्लासरूम संचालन संबंधी गुर सिखाए। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने स्वयं शॉर्ट वीडियो बनाए व अपलोड किए। वर्चुअल क्लासरूम का संचालन व तकनीक एक जैसी होने के कारण ही राजूवास के शिक्षकों व चिकित्सकों को इसी प्रशिक्षण में शामिल किया गया। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय एवं राजूवास के शिक्षकों अधिष्ठाता, निदेशकों व वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

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