जयपुर। सनातन संस्कृति के प्रवर्तक प्रखर राष्ट्रवादी धर्म गुरु सद्गुरुदेव आचार्य स्वामी श्रीधर्मेन्द्र जी महाराज का निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले 30 दिनों से गम्भीर अस्वस्थ थे और SMS हॉस्पिटल के ICU में एडमिट थे। वेंटिलेटर में गहन चिकित्सा इकाई में विशेष देखरेख में इलाज जारी था। उनके निधन पर पूरे देश से और विदेशों से भी शोक संदेश का दौर चल पड़ा है।
बता दें कि आचार्य धर्मेन्द्र विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे। आचार्य महाराज का पूरा जीवन हिंदी, हिंदुत्व और हिन्दुस्थान के उत्कर्ष के लिए समर्पित है। उन्होंने अपने पिता महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के समान उन्होंने भी अपना सम्पूर्ण जीवन भारतमाता और उसकी संतानों की सेवा में, अनशनों, सत्याग्रहों, जेल यात्राओं, आंदोलनों एवं प्रवासों में संघर्षरत रहकर समर्पित किया। जीवन परिचय आठ वर्ष की आयु से आज तक आचार्य श्री के जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्र और मानवता के अभ्युत्थान के लिए सतत तपस्या में व्यतीत हुआ । उनकी वाणी अमोघ, लेखनी अत्यंत प्रखर और कर्म अदबुध रहे। आचार्य धर्मेन्द्र जी अपनी पैनी भाषण कला और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते रहे. वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता एवं हिन्दी कवि भी थे।