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बीकानेर,श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्त्व बताया गया है. बीकानेर से पं. नथमल पुरोहित गुरु के साथ बहत्तर ब्राह्मणजनों ने ऋषिकेश में जाकर पितृ पक्ष के पहले दिन से ही पवित्र गंगा नदी के किनारे तर्पण कर्म शुरू किया.यह क्रम पूर्णिमा से अमावस्या तक चलता है. श्रद्धालु अलसुबह पवित्र गंगा नदी के तट पर जल में खड़े रहकर अपने पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण कर्म करते हैं. वहीं देव तर्पण व ऋषि तर्पण कर्म भी होते हैं. ब्राह्मणों के सान्निध्य में तर्पण कर्म का आयोजन वेदोक्त मंत्रोच्चारण के बीच सम्पन्न होता है.ज्योतिषचार्य पंडित नथमल पुरोहित के अनुसार पुराणों और धर्मग्रंथों में तर्पण कर्म का विशेष महत्व बतलाया गया है. कुर्म पुराण, विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष में जो व्यक्ति श्रद्धा से श्राद्ध तर्पण करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जन्म पत्रिका या घर में पितर दोष का निवारण होता है. तर्पण कर्म में तर्पण करने वाले लोगों की श्रद्धा व आस्था देखती बनती है. श्राद्ध पखवाड़े में तर्पण कर्म के दौरान मंत्रोच्चारण की गूंज है. पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने का विधान है. ब्रह्म पुराण के अनुसार सविधि जल में गंगाजल, तिल, कुशा, अक्षत, जौ से तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और प्रार्थना करने से सभी गलतियों को क्षमा कर देते हैं. कुर्म पुराण के अनुसार पिता, दादा, प्रपिता, मां, दादी, प्रदादी, नाना, मातामह, प्रमातामह, नानी, प्रनानी आदि के निमित्त जल दान की प्रक्रिया को तर्पण कहा जाता है, जो श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के निमित्त किया जाता है. पितर दोष निवारण के लिए एवं घर परिवार में सुख समृद्धि के लिए पितृ तर्पण का शास्त्रों में अधिक महत्व बतलाया गया है.

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