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बीकानेर,किसी नवजात के पैदा होते ही बिना किसी धार्मिक रीति रिवाज और संस्कारों के बच्चे या बच्ची का नामकरण कर उसका जन्म प्रमाण पत्र बनाना। यहीं नहीं बिना जन्म प्रमाण पत्र दिखाएं प्रसूता को प्रसव के बाद छुट्टी न देना। सुनने में कुछ अजीब सा लगता है। लेकिन यह हकीकत है। ऐसा ओर कही नहीं बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के जनाना विंग में देखने को मिलेगा। जहां एक प्रसूता की सामान्य डिलेवरी के बाद तीन दिनों में छुट्टी देने की प्रक्रिया के दौरान न केवल उसके नवजात का नामकरण कर उसको बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाना पड़ेगा। बल्कि बिना जन्म प्रमाण पत्र दिखाएं उस प्रसूता को अस्पताल से छुट्टी भी नहीं मिलेगी। पीबीएम प्रशासन का यह तुगलकी फरमान इन दिनों परेशानी का सबब बना हुआ है। जिसके कारण अनेक बार प्रसूताओं के परिजन व स्टाफ आमने सामने हो रहे है। हालात यह है कि पीबीएम प्रशासन नवाचार कर रहा है और सिस्टम अपने तरीके से ही काम कर रहा है। यहां आने वाले अधिकांश जनानाओं के परिजन इस व्यवस्था से दु:खी और परेशान है। कई जनों ने अपने नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि सामान्य प्रसव में दो से तीन दिन में छुट्टी मिल जाती है। ऐसे में कागजी कार्यवाही में ही समय निकल जाता है। जान पहचान होने पर तो काम जल्दी हो जाता है। जान पहचान नहीं होने की स्थिति में दिक्कतें होती है। जबकि जन्म प्रमाण पत्र की बाध्यता छुट्टी में आड़े आती है। उधर कई बार नेटवर्क समस्या या साइट न चलने की स्थिति में जन्म प्रमाण पत्र बनने में समय लग जाता है और पंजीयन नंबरों के आधार पर छुट्टी प्रक्रिया को भी पूरा करने की गुहार जन्म प्रमाण पत्र के कार्मिक परिजनों से करते है। किन्तु उनकी इस व्यवस्था को वार्ड का स्टाफ नहीं मानता। तो टकराव के हालात बनना लाजमी है।

धार्मिक रीति रिवाजों से नामकरण की परम्परा
वहीं एक प्रसूता के परिजनों ने कहा कि बच्चे का नाम बार बार नहीं रखा जाता और जन्म प्रमाण पत्र भी एक बार ही बनता है। ऐसे में बिना किसी धार्मिक रीति रिवाज के नाम रखकर जन्म प्रमाण पत्र बनवाना कहां तक उचित है। पीबीएम प्रशासन को आमजन की इस भावना को समझना चाहिए और ऐसे आदेश तुरंत वापस लेने चाहिए। जल्दबाजी की इस प्रक्रिया में कई बार गलतियां भी होती है और उससे नगर निगम में सुधारने की प्रक्रिया से परेशानी ज्यादा होती है। वैसे हर धर्म में नामकरण का रीति रिवाज है,वाकायदा इसके लिये समय तय होता है और ज्योतिष गणना और नक्षत्रों से नाम तय कर नवजात का नामकरण किया जाता है। परन्तु अब पीबीएम की प्रक्रिया के अनुरूप ही नामकरण करने की परम्परा पड़ती जा रही है।

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