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बीकानेर,भागवत कथा को सुनने से परम मु1ित का स्थान मिलता है। पशु प्रवृति वालों को  यह कथा अच्छी नहीं लगती है। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करते हुए श्री श्री 1008 सींथल पीठाधीश्वर महंत क्षमाराम जी महाराज ने भगवान के भागवत प्रेम की बात बताई और भगवान वराहावतार ही क्यों बने, किसलिए बने इसके अनेक कारण बताए। महंत जी ने कहा कि जब-जब धरती पापी लोगों से कष्ट पाती है तब-तब भगवान विविध रूप धारण करके दुख दूर करते हैं। हमारे यहां जिसे अपवित्र माना जाता है, सूअर को लोग हेय दृष्टि से  देखते हैं भगवान वराहावतार बने, हाथी को देखो  हम गजानन मानते हैं। आप मोर, सांप, चूहा देखलो, ऐसा किसी और धर्म में नहीं मिलेगा। क्षमाराम जी महाराज ने कहा कि आज जरूरत हिन्दू धर्म के सिद्धान्त की पालना की है। लेकिन हम बंदरों की तरह हैं। बन्दरी जैसे अपने बच्चे को हरदम चिपकाए रखती है। बहुत प्यार करती है, लेकिन जैसे ही भूख लगती है, उसके हाथ से निवाला छीनकर खा जाती है। हम भी धर्म के मामले में कुछ ऐसे ही हैं। गुुरुवार की कथा में महंत जी ने हिरण्याक्ष के पैदा होने और क्यों हुआ, कश्यप जी , भगवान ब्रम्हा जी का प्रसंग सहित ब्रम्हाजी, गरुड़ जी और लक्ष्मी जी का सनकादिक से मिलने के प्रसंग विस्तार पूर्वक बताए। महाराज जी ने कहा कि आज लोग मिथ्या अहंकार रखते हैं। यह सबसे बड़ी गलती है। सद्ज्ञान देते हुए महंत जी ने उपस्थित धर्म प्रेमी बंधुओ से कहा कि वे विषयों से बचने का प्रयास करें, यह अच्छी बात नहीं है। वासनाओं के वशीभूत होने से बचें और गलती करने से बचने का प्रयास करें। यह धर्म की दृष्टि से ना अच्छी बात है और ना ही इसे सही कहा जा सकता है।
पंडाल छोटा पड़ा
श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने के लिए श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह का वातावरण बना हुआ है। प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते पंडाल छोटे पडऩे लगे हैं। इसके अलावा समिति के पदाधिकारियों को व्यवस्था बनाने में भी एड़ी – चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।

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