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बीकानेर, संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज कुमार पवन ने कहा कि राजकीय कार्यों में राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीरता से प्रयास किये जायें।
डॉ. पवन मंगलवार को संभागीय आयुक्त कार्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित ‘सरकारी कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग’ विषयक संभाग स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्रशासनिक क्षेत्र में हिन्दी प्रयोग को अनिवार्य करने की दृष्टि से वर्ष 1956 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया था। डॉ. पवन ने निर्देश दिए कि राज्य सरकार द्वारा हिन्दी के प्रयोग के सम्बन्ध में समय-समय पर जारी किए गए परिपत्रों-आदेशों का अधिकारी-कर्मचारी सजगता से अवलोकन करें। लोक व्यवहार में प्रचलित ‘हिंग्लिश‘ के प्रयोग से बचते हुए, सभी कार्मिक शुद्ध हिन्दी का प्रयोग करें व प्रशासनिक शब्दावली के मानक रूप का ध्यान रखें।
अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ए. एच. गौरी ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार समस्त प्रशासनिक आदेश हिन्दी में जारी होने चाहिए। सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग के लिए कार्मिकों को निर्देशित-प्रोत्साहित किया जाए। स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के अतिरिक्त निदेशक अरविन्द बिश्नोई ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को शुद्ध हिन्दी बोलने व लिखने के लिए प्रोत्साहित करें व उनमें हिन्दी के प्रति गर्व की भावना जाग्रत करें। राजभाषा सम्पर्क अधिकारी व राजस्थानी भाषा अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि राजकीय पत्रों पर हस्ताक्षर, सरकारी कार्यां में प्रयुक्त रबर की मोहरें, चिकित्सकीय प्रमाण पत्र, अनुशासी कार्यवाही, पेंशन सम्बन्धी कार्यवाही आदि हिन्दी में ही होनी अनिवार्य है।
इस दौरान संभाग के विभिन्न जिलों से आये अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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