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बीकानेर,पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं आम हो गई है। देशभर में कई बारगी इसके विरुद्ध आवाज उठी है। केवल पत्रकार ही नहीं बोले समाज, राजनीतिक दल और कई संगठन खड़े हुए हैं। आज भी पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार और प्रताड़ना के खिलाफ समाज खड़ा है।
प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है और उसमें स्पष्ट कहा है कि, पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्धसैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी। सरकारें ये सुनिश्चित करें कि, पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कहीं न हो। पत्रकारों की सुरक्षा तो होनी ही चाहिए। वैसे पत्रकारिता पेशे की साख पीत पत्रकारिता के कारण गिरी है। इससे पत्रकारों की अपनी साख भी पहले जैसी नहीं रही। निष्पक्ष, निर्भीक और ईमानदार पत्रकारों का समाज, सत्ता और प्रशासन में दबदबा रहता आया है। आज पत्रकारों की साख में कर्तव्यहीनता से कमी आई है। इसी से लोग गाहे बगाहे पत्रकारों को धमका देते हैं। मीडिया घराना की साख बिकाऊ होती जा रही है। ऐसे में पत्रकार बेचार अकेला पड़ जाता है। अकेले को तो कोई धमका लेता है। साख और धाक के स्तर में गिरावट तो है ही सत्ता के दलाल, गुंडे, गिरोह के सरगने, अफसर शाही और कुर्सी के मद में बैठे लोग भी धमकाने का दुस्साहस कर लेते हैं। वैसे तो यह लोकतांत्रिक आस्था का पतन ही है। इसका नुकसान देश के लोकतंत्र को ही भुगतना पड़ रहा है। पत्रकार जो भी करते हैं इससे लोकतंत्र में पारदर्शिता, सत्ता और शासन की मनमानी पर अंकुश रहता है। अगर पत्रकारों को धमकाने का कोई दुस्साहस करता है तो अप्रत्यक्ष रूप से अवांछित प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने जैसा काम है। आज भी जो पत्रकार वास्तविक पत्रकारिता करते हैं वे समाज के हित में ही काम कर रहे हैं और लोकतंत्र की महत्वपूर्ण कड़ी बने हुए हैं। भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करें। काटजू को पत्रकारों को यह भी संदेश भी देना चाहिए कि पत्रकार अपने आदर्श और कर्तव्य पथ पर ही चलें।
इन दिनों व्हाट्स अप ग्रुप पर यह समाचार वायरल हो रहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद पीएम और सीएम का भी ऐलान आया है कि, पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50,000 हजार का जुर्माना एवं पत्रकारों से बदसलूकी करने पर हो सकती है 3 साल की जेल पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। पत्रकारों को संरक्षण मिलना ही चाहिए।
समाचार में कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री सीएम योगी का कहना है कि पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें और पत्रकारों से मान-सम्मान से बात करें। यह तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी संदेश देना ही चाहिए।
पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मीडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जो संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा।

 

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