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बीकानेर,राजस्थान में 50 हजार से ज्यादा गायों की मौत के बाद भी लम्पी रैग वैक्सीन अभी भी चरवाहों की पहुंच से बाहर है। स्वदेशी टीकों के व्यावसायिक उत्पादन के लिए भी कोई समझौता ज्ञापन नहीं है।सुरक्षा के लिए, केवल एक कंपनी द्वारा उत्पादित किए जाने पर, केवल बकरी को 60 प्रतिशत लुम्पी को प्रभावित करने की इजाजत थी। शीपपॉक्स के टीके एक दर्जन कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं लेकिन स्वीकृत नहीं हैं।

जून के बाद से लंपी ने राज्य में अपने पैर पसार लिए हैं। आनन-फानन में केंद्रीय पशुपालन विभाग ने गोट पॉक्स के टीके को मंजूरी दे दी। यह लम्पी पर 60 प्रतिशत प्रभाव देता है। गोट पॉक्स का टीका गुजरात की हेस्टर कंपनी द्वारा निर्मित किया जाता है। भेड़ चेचक के टीके का प्रभाव बकरी के चेचक के समान होता है। इसका निर्माण देश में एक दर्जन से अधिक कंपनियां कर रही हैं। क्योंकि कोरोना जैसी गांठ का कोई स्पष्ट इलाज नहीं है। प्रतिरक्षा ही बचाव है। ऐसे में वैक्सीन जानवर की जान बचा सकती है। अगर सरकार ने जीओटी के साथ-साथ चेचक के टीके को मंजूरी दे दी होती तो यह टीका अब तक राजस्थान के हर पशुपालक तक पहुंच गया होता। बड़ा सवाल यह है कि सिर्फ एक गोट पॉक्स कंपनी को ही मंजूरी क्यों है और बाकी शीप पॉक्स कंपनियों को क्यों नहीं। सूत्र बता रहे हैं कि इसके पीछे केंद्रीय पशुपालन विभाग के कुछ अधिकारियों की मंशा है।

अब 1 महीने में 5 लाख डोज तैयार, 5 कंपनियों ने किया आवेदन
देश में 20 करोड़
देश में गायों की संख्या करीब 20 करोड़ है। प्रत्येक गाय और बैल के लिए वैक्सीन की समान खुराक की आवश्यकता होती है। जबकि कोई व्यावसायिक उत्पाद नहीं है, सभी को टीका नहीं मिलेगा। अभी तक किसी भी कंपनी के साथ व्यावसायिक उत्पादन के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है। एमओयू साइन होने के बाद दोबारा प्रोडक्शन और फील्ड ट्रायल की अनुमति दी जाएगी, जिसमें छह से 10 महीने का समय लगेगा। फिर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या ऐसे जानवरों को मारने का सिलसिला रुकेगा।

हरियाणा के हॉर्स रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिकों द्वारा तैयार वैक्सीन की 37,500 खुराक राजस्थान को मिल चुकी है। जिसमें उदयपुर में 10 हजार दिन और बांसवाड़ा और डूंगरपुर में करीब 27 हजार दिन देखे जा चुके हैं। राजस्थान सरकार चाहे तो एक सप्ताह में और खुराक ले सकती है क्योंकि वैज्ञानिकों ने हर महीने पांच लाख खुराक तैयार करने की नीति बनाई है और वर्तमान में पांच लाख खुराक सुरक्षित हैं। इस वैक्सीन के व्यावसायीकरण के लिए पांच कंपनियों ने आवेदन किया है।

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