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बीकानेर,अपेक्षा ही दु:ख का सबसे बड़ा कारण है, मन की इच्छा पूरी होती है तो सुख और मन की इच्छा पूरी न हो तो दु:ख होता है। हमारा अपना मन ही सुख और दुख का कारण है। उक्त प्रवचन साध्वी सौम्यदर्शना ने सोमवार को रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में व्याख्यानमाला के दौरान व्यक्त किए। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि दुख का समय हमें बौद्धिक प्रगति प्रदान करता है, हमारी क्षमताओं को बढ़ाता है जबकि सुख में केवल प्रमाद ही होता है। जब हमें दुख और कष्टों के थपेड़े पड़ते हैं तब ही हमारी आत्मा विकास की राह बढ़ती है।  उन्होंने कहा कि दुख की घड़ी में ही अपनों की पहचान होती है। दुख के समय ही हम अपनी शक्ति और क्षमता को परख सकते हैं। आज की संघपूजा का लाभ ताराचंद सूरजमल कोचर परिवार द्वारा लिया गया।

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