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बीकानेर रियास्तकालीन ऐतिहासिक शहर है। देश के पर्यटन विकास के नक्शे में कई कारणों से बीकानेर का नाम है। खाद्य प्रसंस्करण ( नमकीन और मिठाइयों) के लिए भी बीकानेर की विशिष्ठ पहचान है। चौराहों का विकास और सौंदर्यकरण इस शहर की महत्ती जरूरत है। पर्यटन विभाग, नगर विकास न्यास और निगम की शहर के सौंदर्यकरण की योजनाएं कागजों में सिमटी हुई है। सरकारें बदली, अफसर बदले तो योजनाएं बिसार दी गई। नए संभागीय आयुक्त डा. नीरज के. पवन ने खुद पहल करके बीकानेर में चौराहों के विकास और सौंदर्यकरण का मसला उठाया। इससे जनता में बीकानेर के सौंदर्यकरण और चौराहों के विकास की नई उम्मीद जगी। बना बनाया मेडिकल कॉलेज सर्किल जब तोड़ा गया तब से जनता बेहतर मेडिकल कॉलेज चौराहे विकास की उम्मीद में हर रोज नजरे दौड़ाती है। कभी तो उससे बेहतर चौराहा नजर आएगा ? पूरे शहर में नए चौराहे और चौराहों के सौंदर्यकरण के निगम और न्यास के समक्ष दर्जनों प्रस्ताव है। न्यास अध्यक्ष और जिला कलक्टर को मोहता सराय से जैन स्कूल_ लक्ष्मीनाथ मंदिर से गंगाशहर को मिलने वाले रास्ते पर चौराह विकास का प्रस्ताव दिया गया। कलक्टर महोदय ने लिखित में दिए इस प्रस्ताव को नोटिस में ही नहीं लिया। न्यास अध्यक्ष जिला कलक्टर को इसकी तकनीकी रिपोर्ट बनानी ही चाहिए थी। अगर यातायात सुचारू बनाने, चार सड़कों के मिलने वाले इस पाईंट पर चराहे की जरूर है तो चौराह विकसित करना चाहिए। अनदेखा करना कहां की प्रशासनिक दक्षता है न्यास अध्यक्ष ही जानें। संभागीय आयुक्त ने भी यहां चौराहे के प्रस्ताव को सुना है। इस स्थल पर चौराहे की जरूरत को इस शहर के लोग जानते हैं। खैर न्यास अध्यक्ष इसे समझे या नहीं समझे उनका विवेक और प्रशासनिक निर्णय है। यह सच है कि जनता रिस्क में है। कई प्रमुख चौराहों पर सर्किल टूटे हुए हैं। कुछेक चौराहों पर सर्किल प्रस्तावित है। कितने नए चौराहों को चिन्हित किया गया है। क्या इन चौराहों पर सर्किल और सौंदर्यकरण का काम दीपावली से पहले हो जाएगा ? अभी तो रानी बाजार पुल वाला चौराहा ही तकलीफ दे रहा है। सब कुछ न्यास अध्यक्ष पर दारोमदार है। जनता उनकी कार्यदक्षता को याद करेगी।

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