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बीकानेर,हमारे जीवन से अहम् निकालने व हृदयशुद्धि के लिए भगवान महावीर ने क्षमा का सूत्र दिया। मानवमात्र भूल का पात्र यानि बड़े से बड़े व्यक्ति से भी भूल हो सकती है। उक्त प्रवचन रविवार को ढढ्ढा कोटड़ी में विराजित आचार्य विजयराज महाराज ने सामूहिक क्षमापना एवं तप अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए। आचार्य विजयराज महाराज ने कहा कि हम सभी में न जाने कितने दोष भरे पड़े हैं और जीवन शुद्धि भी तब तक नहीं होगी जब तक क्षमा का भाव न हो। उन्होंने कहा कि व्यसन करने वाला तथा अपशब्द बोलने वाला जैन नहीं हो सकता है। जैन की पहचान तप, संयम और करुणा है। आचार्यश्री विजयराज महाराज के 64वें जन्मदिवस व 50वें दीक्षावर्ष पर आठ दिवसीय कार्यक्रमों की दर्शना बांठिया ने दी। इससे पूर्व शांत क्रांति महिला मंडल ने नवकार मंत्र से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कोचर ने किया। आभार व्यक्त करते हुए श्री जैन महासभा के महामंत्री सुरेन्द्र जैन बद्धाणी ने बताया कि साढ़े तीन सौ से अधिक तपस्वियों का सम्मान पदाधिकारियों द्वारा किया गया। इनमें कई तपस्वी जिन्होंने 8, 15, मासक्षमण, सिद्धि तप आदि की तपस्या की थी।

संतों व साध्वीवृंदों ने दिया उपदेश
जैन महासभा द्वारा आयोजित सामूहिक क्षमापना एवं तप अभिनंदन समारोह में आज सकल जैन समाज के साधु-साध्वियों के साथ श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। साध्वी सौम्यदर्शना, साध्वी अक्षयदर्शना, साध्वी पद्मश्री, साध्वी मृगावती, मुनि अनुत्तर महाराज,  मुनिश्री जितेन्द्र कुमार  ने उद्बोधन देते हुए क्षमा व तप का महत्व बताया।

इन प्रतिनिधियों ने की क्षमायाचना
जैन महासभा अध्यक्ष जैन लूणकरन छाजेड़, दिगम्बर जैन महासभा के धनेश जैन, श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के विकास सिरोहिया, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्री संघ के अजीतमल खजांची, जैन श्वेताम्बर पार्श्वचंदगच्छ सूरि के सुरेन्द्र बांठिया, श्री जैन रतन हितैषी श्रावक संघ के इन्द्रमल सुराणा, श्री ज्ञानगच्छ श्रावक संघ के चम्पकमल सुराणा, हुक्मगच्छीय शान्त क्रान्ति संघ गंगाशहर के मेघराज सेठिया, हुक्मगच्छीय शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के विनोद सेठिया, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के अमरचंद सोनी, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा भीनासर के पानमल डागा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के सुरेश बैद ने क्षमायाचना की।

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