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बीकानेर,उपवास से तपस्या जैन धर्मावलंबी जैन समाज की पद्धति रही है। रिध्द करण सेठिया ने 16 दिन की तपस्या की है । यानी 16 दिनों तक वे निराहार रहे। सेठिया अखिल भारतीय साधुमार्गी संत क्रांति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री है। इससे पहले वे 15 दिनों का तथा 17 दिन का उपवास की तपस्या कर चुके हैं। उनके छोटे भाई विनोद सेठिया ने 11 दिनों की, भतीजे प्रशांत 9 दिनों की तथा गौरव ने 5 दिनों की तपस्या की है। जैन उपवास विभिन्न जैन व्रतों में एक है। मोटे तौर पर यह भी अन्य धर्मों की तरह भोजन के त्याग पर आधारित है परन्तु इसमें किसी भी तरह का फरियाली, फल या फलारस भी निषेध होता है। विशेष परिस्थतियों में या भिन्न-भिन्न मान्यताओं में सिर्फ उबाल कर थारा हुआ या धोवन पानी सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त पूर्व तक लिया जा सकता है। इस प्रकार का उपवास तिविहार उपवास कहलाता है। (यानी की सिर्फ पानी के सिवा कुछ भी नहीं खाया या पीया जा सकता है।) अन्य प्रकार का उपवास जो चौविहार उपवास के नाम से जाना जाता है, उसमें पानी भी निषेध होता है। उपवास वाले दिन से पहले वाली रात्रि से ही भोजन का त्याग शुरू हो जाता है जो की अगले दिन भर और रात भर जारी रहता है। इनके अलावा भी इन दिनों जैन चातुर्मास में उपवास की जा रहे हैं । सेठिया परिवार की चार लोगों तपस्या की है। मेघराज सेठिया स्वयं अधिकतर सामयिकी में लगाते हैं। सुबह, दोपहर, शाम समायिक में ही रहते हैं। इस धर्म ध्यान का आचरण उनके व्यवहारिक जीवन में भी है। उनके आचार्य विजय राज जी महाराज का चातुर्मास बीकानेर हैं। उनकी दीक्षा को 50 वर्ष हो गए हैं। उनके सेठिया परिवार के अनुयायियों ने इसी उपलक्ष में यह तपस्या की है।

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