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बीकानेर,गायों में बढ़ रहे लंपी रोग के प्रकोप से आम जन दुखी हैं, लेकिन क्या मिट्टी की मूरत पर भी इसका असर हो सकता है ? इस वैज्ञानिक युग में भले ही इसे अंधविश्वास कहा जाए लेकिन आज सुबह से रत्तानी व्यासों के चौक में स्थित सत्यनारायण जी के मंदिर का अलग ही नजारा है। आज सुबह जब मंदिर के पट खुले तो पुजारी यह देख कर हैरान रह गया कि मूर्ति पर दाने उभरे हुए हैं। दर्शनार्थियों ने जब यह देखा तो सभी चकित थे ।मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों का कहना है की कसौटी के काले पत्थर की यह मूर्ति कभी इस तरह की नहीं थी । आज न जाने क्या हो गया।

पंडित के अनुसार, भगवान से नहीं देखा गया गायों का दुःख, इसलिए खुद ने ले ली अपने पर पीड़ा। यहां मौजूद अन्य लोगों ने भी बताया कि ठाकुर जी ने गायों की पीड़ा से दुखी होकर अपने पर पीड़ा ली है। यह मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना बताया जा रहा है। लोगों ने यहां अभिषेक भी किए हैं। किसी ने भी ऐसा नहीं देखा। विज्ञान के इस युग में हालांकि इसे अंधविश्वास ही कहा जायेगा, लेकिन यह तो सवाल है ही कि अचानक मूर्ति में ऐसा क्या हो गया । बहरहाल, मंदिर में आसपास के लोग को सहलवश एकत्र होने लगे हैं।

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