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जयपुर, पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने बताया कि बीकानेर के जोड़ बीड क्षेत्र में गैर लम्पी अर्थात सामान्य रूप से मृत पशु ही डाले जा रहे हैं ताकि गिद्ध संरक्षण क्षेत्र में गिद्ध एवं रेप्टर्स आदि सामान्य मौत से मरे इन पशुओं के अवशेषों को अपना आहार बना सकें। लम्पी रोग से मृत पशुओं को बीकानेर के सुजानदेसर, करमीसर एवं नाल क्षेत्र में ही दफनाया जा रहा है।

शासन सचिव पीसी किशन ने बीकानेर में मृत पशुओं को खुले में डाले जाने के विषय में प्रकाशित समाचार के सम्बन्ध में बताया कि प्रकरण में जिला कलक्टर, बीकानेर से प्राप्त तथ्यात्मक रिपोर्ट के अनुसार बीकानेर का जोड़ बीड़ गिद्ध सरंक्षण क्षेत्र है, जहां संपूर्ण क्षेत्र की चारदीवारी एवं चेनलिंक फेन्सिंग की हुई है तथा इसका क्षेत्रफल लगभग 226 हेक्टेयर है। उन्होंने बताया कि लम्पी रोग से मृत पशुओं को बीकानेर के सुजानदेसर, करमीसर एवं नाल क्षेत्र में ही दफनाया जा रहा है। जोड़ बीड क्षेत्र में गैर लम्पी अर्थात सामान्य रूप से मृत पशु ही डाले जा रहे हैं ताकि गिद्ध सरंक्षण क्षेत्र में गिद्ध एवं रेप्टर्स आदि सामान्य मौत से मृत इन पशुओं के अवशेषों को अपना आहार बना सकें।

किशन ने बताया कि बीकानेर के जोड़ बीड़ में स्थित इस गिद्ध सरंक्षण क्षेत्र में इनकी लगभग आठ प्रकार की प्रजातियों सहित कुल 4000 गिद्ध मौजूद हैं, जिनके आहार का मुख्य स्त्रोत मृत पशु ही है। उन्होंने बताया कि इस प्रकृति के इकोसिस्टम में मृत पशुओं के निस्तारण में गिद्धों की अहम भूमिका है।

शासन सचिव ने बताया कि लम्पी रोग से पहले बीकानेर शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों से सामान्य मौत से मरने वाले लगभग 80 से 100 मृत पशु प्रतिदिन इस यार्ड में निस्तारित किये जा रहे थे। विगत 50 वर्षों से निगम ठेकेदार द्वारा सामान्य रूप से मृत पशु जोड़ बीड़ स्थित इस डम्पिंग यार्ड में डाले जाते हैं जहां ठेकेदार द्वारा मृत पशु की चमड़ी उतारकर हड्डियों को सूखने के लिए छोड़ा जाता है।

किशन ने बताया कि संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, उप वन संरक्षक वन्य जीव, बीकानेर तथा आयुक्त नगर निगम, बीकानेर के संयुक्त दल द्वारा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट अनुसार जोड़ बीड़ स्थित मृत पशु डम्पिंग यार्ड में लगभग 1000 मृत पशुओं को हड्डियां सूखने के लिए छोड़ा हुआ पाया गया। उन्होंने बताया कि रामदेवरा व पूनरासर आदि मेलों की पद यात्राओं के चलते श्रमिकों के अभाव में ठेकेदार द्वारा चमड़ी आदि निकालने का काम धीमे होने से काफी संख्या में मृत पशु एकत्रित हो गए जिनमें से अधिकांश मृत पशुओं का चमड़ा निकाल हड्डियों को सूखने के लिए छोड़ दिया गया।

शासन सचिव पीसी किशन ने बताया कि राज्य सरकार पूरी गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ पशुओं में फैल रहे लम्पी डिजीज पर नियंत्रण पाने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि लम्पी रोग से मृत पशुओं का निस्तारण स्थानीय निकाय एवं पंचायतों के माध्यम से वैज्ञानिक विधि से ही किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विभागीय प्रयासों एवं स्थानीय प्रशासन की त्वरित क्रियाशीलता के चलते कुछ जिलों में संक्रमण एवं मृत्यु दर में कमी आ रही है।

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