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बीकानेर.जिले के कई गांवों में पिछले पांच दिन से बंद रोडवेज बसें मंगलवार को फिर से चल पड़ीं। बसों के चलने से ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे। जिला प्रशासन व रोडवेज प्रबंधन ने विचार-विमर्श कर ग्रामीण रूट की उन बसों को फिर से संचालित कर दिया, जहां यात्रीभार अच्छा है और रोडवेज की केवल एक या दो बसें ही संचालित हो रही हैं।
बस नहीं आई, तो कार किराए पर लेनी पड़ी

अमरपुरा के मामराज जाट बताते हैं कि पांच दिन गांव में बस नहीं आई, जिससे बेहद परेशानी हुई। घर में मां को बुखार हो गया। चिकित्सक को दिखाने के लिए बीकानेर जाना था, लेकिन बस नहीं होने पर लूणकरनसर तक कार किराए पर करके गए। अनावश्यक खर्च वहन करना पड़ा। रोडवेज व जिला प्रशासन को चाहिए कि गांवों की उन बसों के साथ छेड़छाड़ न करें जहां केवल आवागमन का एक मात्र साधन रोडवेज बस ही है।

निजी बसों की मनमानी से मिलेगी निजात
कालू के हेमंत का कहना है कि रोडवेज की बसों को चालू कर रोडवेज ने ग्रामीणों की बहुत बड़ी मदद की है। बस चालू होने से निजी बस संचालकों की मनमर्जी नहीं चलेगी। अन्यथा सवारियों से किराया अधिक वसूलने के साथ-साथ अभद्र व्यवहार और करते हैं। ज्यादा कुछ कहो, तो बीच रास्ते में ही उतारने की धमकी देते हैं। पत्रिका ने आमजन की पीड़ा समझी इसके लिए आभार है।

इनका कहना है…

बीकानेर से लूणकनसर-शेखसर, कालू, नोखा, पांचू बसों को ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए फिर से चालू कर दिया गया है। भीलवाड़ा, हनुमानगढ़-सूरतगढ़ की एक-एक बस को यात्री भार कम होने के कारण चालू नहीं किया है। सेना भर्ती खत्म होने के बाद पूर्ववत व्यवस्थाएं संचालित की जाएंगी। – अंकित शर्मा, प्रबंधक यातायात, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम आगार बीकानेर।

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