बीकानेर,पूज्य तन सिंह जी द्वारा स्थापित श्री क्षत्रिय युवक संघ विगत 76 वर्षों से क्षत्रिय समाज में संस्कार निर्माण का कार्य कर ,राष्ट्र निर्माण का अभिनव कार्य कर रहा है , इसी कड़ी में संरक्षक माननीय श्री भगवान सिंह जी को आभास हुआ कि बिना नारी शक्ति के समाज में संस्कार निर्माण करना संभव नही है , इसलिए उन्होंने बालिका शिविर का आयोजन आरंभ किया जिसका परिणाम प्रकट हो रहा है । इसी कड़ी में बीकानेर के जयपुर रोड स्थित एकेडमी परिसर भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत पूर्ण भारतीयता को अपने आप में संजोए हुए अद्भुत बालिका प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हो रहा है जिसमें प्रातः ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत वेद – मंत्रों की ध्वनियों के साथ जागरण का कार्यक्रम आरंभ होता है तो वही पूरे दिन भारतीय संस्कृति की परिचायक भगवती सीता सावित्री पद्मिनी हाडी़ रानी जैसे चरित्र निर्माण के उध्र्वमुखी कार्य को श्रीमद् भागवत गीता आधारित मनोविज्ञानिक संस्कारमयी कर्मप्रणाली द्वारा किया जा रहा है , जिसमें रज शक्ति को सत्व की ओर उन्मुख कर विभिन्न गतिविधियों द्वारा बार-बार अभ्यास से व्यवहार में लाकर संस्कार निर्माण जैसा दुरूह कार्य कर रहा है , शिविर संचालिका उषा कंवर पाटोदा ने बताया कि प्रातः कालीन खेल व्यायाम योग आसनों से जहां शारीरिक मजबूती का प्रयास किया जा रहा है तो वही आध्यात्मिक एवं चारित्रिक संस्कार निर्माण के लिए यज्ञ हवन जैसे आध्यात्मिक कार्यक्रम भी करवाए जा रहे हैं। संपूर्ण चरित्र निर्माण के लिए बौद्धिक प्रवचन, ऐतिहासिक अंतरावलोकन जैसी बौद्धिक चर्चाएं सहगायन अर्थबोध के भी कार्यक्रम शिविर में निरंतर चल रहे हैं, रात्रि भोजन उपरांत भजन संध्या कीर्तन विनोद सभा , शिविर अनुभव जैसे कार्यक्रम मनोरंजन के साथ नैतिकता का निर्माण कर रहे हैं तो साथ में अध्यात्मिक शक्ति को भी जागृत कर रहे हैं। वैदिक शक्ति का परिचायक केसरिया गणवेश क्षत्राणियों का मान बढ़ा रहा है तो नव स्वंयसेवकाओं को जौहर जैसी सत्वता की प्रकाष्ठा के दर्शन करवा रहा है , बार-बार हमें गौरवशाली परंपराओं का भी भान करवाते हुए अपने आप में संजोए हुए हमारे उज्जवल इतिहास का दर्शन करवा रहा है । शिविर के ध्वज स्थल पर केसरिया ध्वज का दिन भर तलवार के साथ पहरे से धैर्य के साथ दृढ़ता का भी निर्माण हो रहा है । यह शिविर अपने आप में ही अद्भुत हैं और विलूप्त होती भारतीय संस्कृति के क्षरण को रोक रखा है। यह प्रयास चुनौती है पाश्चात्य संस्कृतियो को कि हम हमारी जड़ों से जुड़े हुए हैं और रहेंगे। इस चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में श्रीडूंगरगढ़ नोखा कोलायत छतरगढ़ बीकानेर शहर सीकर चूरू से 170 बालिकाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया । ध्वजावतरण एवं विदाई कार्यक्रम के साथ शिविर संघ परंपरा से साथ संपन्न हुआ ।
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