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बीकानेर,आसानियों के चौक के उपासरे में चातुर्मास कर रहीं जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र सूरिश्वरगच्छ की साध्वीश्री पद््म प्रभा, साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी की शिष्या, साध्वीश्री मरुतप्रभा मंगलवार को सुबह अरिहंतशरण हो गई। श्री पार्श्वचन्द्रगच्छ के महोपाध्याय, जैनाचार्य भुवनचन्द्र जी मसा. की आज्ञानुवर्ती, मरुतप्रभा के पार्थिव देह को मंगलवार को ही गोगागेट के बाहर ओसवाल समाज के मोक्षधाम में पंच महाभूतों में विलीन किया गया। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने साध्वीजी को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
साध्वीश्री पद्मप्रभा, सुव्रताश्री के सान्निध्य मेंं आसानियों के उपासरे में पार्थिव देह को रखा गया, जहां सुबह पांच बजे से ही बड़ी संख्या में पहुंचकर दिवंगत साध्वीश्री मरुत प्रभा को श्रद्धांजलि दी। जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ के अध्यक्ष रविन्द्र रामपुरिया, मंत्री प्रताप रामपुरिया सहित संघ के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों, संघ के सदस्यों के साथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ, खरतरगच्छ, तपागच्छ, साधुमार्गी जैन संघ, हुक्मगच्छीय संघ के पदाधिकारियों व सदस्यों ने श्रद्धांजलि दी।
साध्वीजी की मोक्षयात्रा रामपुरिया उपासरे से बैंकुंठी में गाजे बाजे से रवाना हुई। श्रावक-श्राविकाएं ’’गुरुवर्या अमर रहे’’ ’’जय-जय नंदा, जय-जय भद्धा’’ के नारे लगाते हुए चल रहे थे। मोक्ष यात्रा के रास्ते में अनेक लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर व नवंकार महामंत्र का जाप कर साध्वीश्री को श्रद्धांजलि दी।
श्री जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्रगच्छ संघ के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार रामपुरिया व मंत्री प्रताप रामपुरिया ने बताया कि साध्वीश्री मरुत प्रभा पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थीं, जिनका ईलाज कोठारी अस्पताल के चिकित्सकों की देखरेख में चल रहा है। इन दिनों उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था, वे बैठने लगी तथा स्वयं अपने जरुरी कार्य करने लगी थी। सोमवार रात को उनको सांस लेने में परेशानी होने पर कोठारी अस्पताल ले जाया गया जहां मंगलवार सुबह वे अरिहंत शरण हो गई।
साध्वीश्री का परिचय
श्री पार्श्वचन्द्रगच्छ के महोपाध्याय भुवन चन्द्र जी मसा. की आज्ञानुवर्ती, दीर्ध संयमी, साध्वीश्री पदमप्रभा, सुव्रताश्रीजी की शिष्या, मधुर कंठी 58 वर्षीय साध्वीश्री मरुत प्रभा की लौकिक देह कोलायत के झझू गांव की थीं। उनके सांसारिक पिता धर्मनिष्ठ सुश्रावक ईश्वर चंद सेठिया व धर्मनिष्ठ सुश्राविका माता केसर देवी सेठिया ने 41 वर्ष पूर्व जिन शासन को समर्पित किया। साध्वीश्री मरुत प्रभा ने पांच महाव्रतों की पालना करते हुए भगवान महावीर की जयंती के सामूहिक कार्यक्रमों, जैन समाज की एकता व सद््भावना के कार्यक्रमों में आजीवन सक्रिय भागीदारी निभाई । उन्होंने जैन समाज के साथ जैनेतर समाज के लोगों को भी जीवदया, अहिंसा धर्म की पालना करने, पांच कषायों से दूर रहने का संदेश दिया। उनकी अंतिम यात्रा में अनेक अजैनी भी, नागौर, झझूं व विभिन्न स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाओं, उनके सांसारिक पक्ष के परिजनों ने भी हिस्सा लेकर अंतिम श्रद्धांजलि दी।
श्रद्धांजलि
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चातुर्मास कर रही जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया, नित्योदयाश्रीजी, तपागच्छीय उपासरे में चातुर्मास कर रहीं साध्वीश्री सौम्यप्रभा, सौम्यदर्शना सहित विभिन्न स्थानों पर चातुर्मास कर रहे मुनि व साध्वीवृंद ने 12 नवंकार महामंत्र का जाप कर दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए श्रद्धांजलि दी।

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