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बीकानेर, रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में सोमवार को जैनाचार्य, दादा गुरुदेव परम्परा के गच्छाधिपति श्रीपूज्य जिनचन्द्र सूरि म.सा. के सान्निध्य में यतिश्री अमृत सुन्दर महाराज ने कल्पसूत्र का वांचन विवेचन करते हुए तीर्थंकर भगवान महावीर, भगवान पार्श्वनाथ व नेमीनाथ के भव भ्रमण तथा दीक्षा व मोक्ष कल्याण तक का वर्णन करते हुए कहा कि तीर्थंकरों ने अहिंसा, संयम, साधना आराधना व क्षमा को सर्वोंपरि रखते हुए अपना आयुष्य पूर्ण कर मोक्ष प्राप्त किया।
जैन धर्म के सभी तीर्थंकरों ने जो लौकिक-आलौकिक संदेश दिए वे सभी धर्म मजहब के लोगों व प्राणी मात्र के लिए हितकारी,मंगलकारी व कल्याणकारी है। तीर्थंकर परमात्मा के मंदिरों में दर्शन करने, उनके मंत्रों का जप, उनके जीवन चरित्र का स्मरण करने से रोग, शोक व पापों से मुक्ति मिलती है तथा जीवन मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है। श्रावक-श्राविकाओं ने उपासरे में मौन व सत्य साधना की।

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