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बीकानेर में गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं और इसके लिए मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. बीकानेर में प्रथम पूजनीय गणपति को घर लाने की तैयारियां शुरू हो गई है, जहां एक और मूर्तिकार भगवान गणेश की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं वहीं भक्त भी अपनी पसंद के गजानंद को घर लाने की तैयारियां कर रहे हैं. दो साल कोरोना महामारी के बाद इस बार मूर्तिकारों को अच्छे कारोबार की उम्मीद है.

वहीं शहर में कई स्थानों पर पीओपी की गणेश प्रतिमाएं भी बनाने का काम जोरशोर से चल रहा है, जबकि पीओपी की मूर्तियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा रखी है. इस साल गणेश चतुर्थी पूजा 31 अगस्त को है. देश में 10 दिन तक भगवान गणेश की पूजा होगी. शहर में गणेश चतुर्थी पर जगह-जगह पांडाल सजाए जाएंगे, जिनमें गणपति बप्पा की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा. मूर्तिकार व कारीगर भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने में जुटे हैं. इसके साथ ही छोटी मूर्तियों की सजावट का काम भी जोर-शोर से चल रहा है.

प्रतिमाओं पर महंगाई की मार

इस बार महंगाई का असर भी गणेश मूर्तियों पर भी देखने को मिल रहा है. मूर्तिकारों ने बताया कि इस बार कच्चे माल जैसे मिट्टी, लकड़ी, बांस के दाम बढ़ने से लगभग 15 से 20 प्रतिशत तक मूर्तियां महंगी हैं. मूर्तिकारों ने बताया कि बीकानेर शहर में करीब 5 मूर्तिकार 50 मजदूरों के साथ जून माह से ही प्रतिमाओं का निर्माण करने में जुटे हुए हैं. तीन माह यानि नवरात्र तक मूर्तियां बनाने का काम चलता रहेगा. इस बार छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 3 हजार से ज्यादा गणेश प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. इनमें 1 फीट से लेकर अधिकतम 12 फीट ऊंची प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं.

जल प्रदूषण को रोकने के लिए पीओपी की प्रतिमाओं पर रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से पीओपी की प्रतिमाएं बनाने पर रोक लगी हुई है. इसके बावजूद पीओपी की प्रतिमाएं बन रही हैं. शहर में जयपुर रोड, गंगानगर रोड, सब्जी मंडी रोड, जूनागढ़ सहित अन्य स्थानों पर पीओपी की मूर्तियां बनाने का काम चल रहा है. जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्ति बनाना, खरीदना व बेचना तथा नदी तालाबों में विसर्जन करना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है.

घर आंगन के साथ शहर के प्रमुख चौराहे पर विराजमान होंगे गणपति

शहर में विभिन्न स्थानों पर गणपति बप्पा को विराजमान किया जाएगा. इनमें प्रथम पूज्य के विभिन्न रूप देखने को मिलेंगे, तो प्रतिमाओं के माध्यम से गजानन संदेश भी देते नजर आएंगे. नारियल के रेशे से निर्मित इको फ्रेंडली गणपति पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे. इस दौरान करीब 300 नारियल के 16 किलो रेशे से आकर्षक व संदेशवाहक गणपति को तैयार किया गया है. करीब तीन फीट की प्रतिमा तैयार की जा रही है. प्रतिमा को बनाने में ऐसी कोई वस्तु का उपयोग नहीं किया जिससे पर्यावरण पर असर पड़ता हो.ये रहेंगे आकर्षण का केंद्र

बीकानेर में विभिन्न संस्थाओं की ओर से गणपति को विभिन्न रूपों के साथ विभिन्न पदार्थों से बनाया जाता है, जहां काजू बादम, दाल, कागज के साथ अन्य तरह से गणपति दिखाई देंगे. इसके साथ ही गजानंद के रूपों में कहीं बंसी बजा रहे हैं तो कहीं भगवान शिव के रूप में दिखाई दे रहे हैं. वहीं मूशक पर विराजमान, सिंघासन पर, शंख पर, मोर, नंदी पर भी विराजमान हैं. प्रतिमाओं का विसर्जन अनंत चतुर्दशी पर होगा,

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