बीकानेर,जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरिश्वरजी व यतिश्री अमृत सुन्दर म.सा. के सान्निध्य में रांगड़ी चौक के बड़े उपासरे में गुरुवार को जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक आगम ’’कल्पसूत्र’ का वाचन विवेचन शुरू हुआ। देश के विभिन्न इलाकों से आए श्रावक-श्राविकाओं ने मौन रहकर सत्य साधना की। मणिधारी दादा गुरुदेव जिनचन्द्र सूरिश्वरजी के स्वर्गारोहण दिवस पर उनका स्मरण करते हुए वंदना की गई।
कल्पसूत्र का वांचन विवेचन यति अमृत सुन्दरजी ने करते हुए कहा कि प्रथम तीर्थंकर इस धर्मग्रंथ में भगवान आदिनाथ, भगवान महावीर सहित 22 तीर्थंकरों के समय के साधु-साध्वीवृद के रहन,सहन, साधना, आराधना व देव,गुरु की भक्ति का वर्णन है । उन्होंने कहा कि नवंकार महामंत्र महान उपकारी,परोपकारी, कल्याणकारी बताते हुए इसके नियमित जाप करने विध्न,बाधा दूर होती है तथा सुख, सम्पति की प्राप्ति होती है।
बड़े उपासरे में दादा ुरुदेव मणिधारीश्री जिनचन्द्र सूरिश्वरजी का 856वां स्वर्गारोहण दिवस पर गुणानुवाद सभा रखी गई तथा गुरु इकतीसा का पाठ किया गया। सभा में यति अमृत सुन्दर जी.म.सा., मुमुक्षु अंजलि राखेचा, मुमुक्षु विकास चौपड़ा ने दादा गुरुदेव, वर्तमान में जैनाचार्य श्रीपूज्यजी श्रीजिन चन्द्र सूरिश्वरजी के आदर्शों का स्मरण दिलाया तथा कहा ’’दादा गुरुदेव की हस्ती ना होती तो आज हम लोगों की है बस्ती ना होती’’ ।
भक्ति संगीत संध्या आज, पाटोत्सव कल
रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में शनिवार को भक्ति संगीत संध्या होगी जिसमें पिन्टू स्वामी आदि कलाकार भक्ति रचनाएं पेश करेंगे। रविवार को श्रीपूज्यजी पाटोत्सव का कार्यक्रम शुरू होगा। आगामी श्रीपूज्य उद्घोषणा तथा यति-यतनियों के दीक्षा का मुर्हूत प्रदान किया जाएगा।
सुगनजी महाराज का उपासरा
जैन धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ ’’कल्पसूत्र’’ वांचन विवेचन शुरू
बीकानेर, 26 अगस्त। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में गुरुवार को साध्वीश्री मृगावती,सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में पर्वाधिराज पर्युषण के तीसरे दिन शुक्रवार जैन धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ ’’कल्पसूत्र’’ का वांचन विवेचन शुरू किया। पूर्ण धार्मिक भावना के साथ श्रीसंघ की साक्षी में सी.ए. राजेन्द्र लूणिया, श्रीकृष्ण लूणिया ने ’’कल्पसूत्र’’ प्रदान किया। बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने कल्पसूत्र की ज्ञान पूजा की।
साध्वीश्री मृगावतीश्री व साध्वीश्री नित्योदयाश्रीजी ने प्रवचन में कहा कि भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र में तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर आदि तीर्थंकरों का जीवन चरित्र वर्णित है। पूर्व में कल्पसूत्र का वाचन व श्रवण साधु-साध्वीवृंद द्वारा ही किया जाता था। पूर्ववर्ती काल में एक राजा के शोक होने के कारण कोई श्रावक-श्राविका के नहीं होने पर कल्पसूत्र का वाचन गृहस्थ श्रावकों के मध्य भी किया जाने लगा। इस पवित्र ग्रंथ के श्रवण मात्र से ही प्राणियों के दुख, पाप व संताप क्षय हो जाते है। मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है। कल्पसूत्र आगमग्रंथों में सर्वाधिक उपकारी, है जिसे सुनने वाले भवसागर से पार हो जाते है। कल्पसूत्र में तीर्थंकरों के जन्म, दीक्षा, केवल्य ज्ञान व मोक्ष आदि वर्णन है।
साध्वीजी ने दादागुरुदेव मणिधारी जिनचन्द्र सूरिश्वरजी के स्वर्गारोहण दिवस पर उनके आदर्शों का वर्णन करते हुए बताया कि बीकानेर के बीकमपुर में जन्म लेकर दादा गुरुदेव ने 8 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण कर जैनधर्म की प्रभावना की। साध्वीवृंद के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गुरु इकतीसा का पाठ करते हुए दादा गुरुदेव का नमन किया।
बीकमपुर में मेला 4 सितम्बर को
खरतरगच्छाधिपति जैनाचार्य मणिप्रभ सूरिश्वरजी की प्रेरणा से, बीकानेर के सुगनजी महाराज के उपासरे में चातुर्मास कर रहीं साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी, सुरप्रियाश्री व नित्योदया के सान्निध्य में बीकमपुर में 4 सितम्बर को मेला लगेगा तथा आठवां ध्वजारोहण महोत्सव होगा। मणिधारी दादा गुरुदेव जिनचन्द्र सूरिश्वरजी की जन्म स्थल बीकमपुर में श्री जिनकुशल खरतरगच्छ पेढ़ी चैन्नई, श्री अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, चातुर्मास व्यवस्था समिति, ने श्रीसंघ के सहयोग से श्रावक-श्राविकाओं के लिए बसों सहित विभिन्न व्यवस्थाएं की व्यवस्था की है।
भगवान आदिनाथ मंदिर में पूजा व अंगी
पर्युषण पर्व के दौरान नाहटा चौक के भगवान आदिश्वरजी के मंदिर में पर्युषण पर्व के तीसरे दिन अंगी की गई। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने मंदिर में दर्शन किए ।
सामयिक का अर्थ है आत्मा में रमण करना–साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी
बीकानेर, 25 अगस्त । जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र सूरिश्वर गच्छ का पर्युषण पर्व के अनुष्ठान गुरुवार को आसानियों के चौक के रामपुरिया उपासरे में साध्वीश्री पद््म प्रभा के सान्निध्य में साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी ने पर्युषण पर्व के दूसरे दिन श्रावक-श्राविका के पांच कर्तव्यों से अवगत करवाया। उपासरा परिसर के भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में पूजा व विशेष अंगी की गई।
साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी ने प्रवचन में कहा कि अमारीनी की घोषणा, साधर्मिक वात्सल्य, अट््ठमतप, चैत्य परिपाटी व परस्पर एक दूसरे से क्षमापना करना पांच कर्तव्यों का पालन प्रत्येक श्रावक-श्राविका के लिए देव,गुरुभग्वंतों ने जरूरी बताया है। उन्होंने सामयिक के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि शुभ भाव से दो घड़ी यानि 48 मिनट समतापूर्वक शांत होकर सामयिक करना । दो घड़ी आत्म रमण करते हुए सामयिक साधना से मोक्ष के मार्ग पर बढ़ सकता है। सामयिक का अर्थ है आत्मा में रमण करना तथा समतापूर्वक पापों का त्याग करना। एक सामयिक के फलस्वरूप जीव देवगति के आयुष्य का बंध करता है। उन्होंने एक दोहा सुनाते हुए आत्म परमात्म का ध्यान ही सामयिक है। सूत्रों को बोलकर सामयिक ग्रहण की जाती है, उसके पश्चात 48 मिनट तक मन, वचन और काया से 32 दोषों को टाला जाता है। े,’’लाख खंडी सोना तणी, लाख वर्ष दे दान, सामयिक तुल्य भाख्यो नहीं भगवान’’ ।
श्रीपार्श्वचन्द्रगच्छ सूरिश्वर संघ के मंत्री प्रताप रामपुरिया ने बताया कि उपासरे में भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में पर्युषण पर्व के दौरान विशेष पूजा व अंगी की जाएगी। शुक्रवार को साध्वीवृंद व श्रावक-श्राविकाओं ने सुश्रावक जेठमल राखेचा की पौत्री की अट््ठाई तप की अनुमोदना की।