बीकानेर,रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया है और मामले को 3 जजों की बेंच के पास भेजा दिया है. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग (EC) और केंद्र सरकार दोनों ने अपना पक्ष रखा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना राज्य की आर्थिक स्थिति का आकलन किए हुए मुफ्त घोषणा किए जाने का मसला उठाया है. याचिका में कहा गया है कि इससे चुनाव प्रक्रिया बाधित होती है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice Of India) एन. वी. रमन्ना (NV Ramana) ने कहा कि चुनाव आयोग और सरकार ने अपना पक्ष रखा है. दलीलों में कहा गया कि लोकतंत्र में असल ताकत मतदाता के पास है. मुफ्त सुविधाओं की घोषणा ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है कि राज्य की आर्थिक सेहत बिगड़ जाए. कोर्ट के सामने सवाल ये है कि वो इस तरह के मामलों में किस हद तक दखल दे सकता है. कोर्ट ने विचार के लिए मामला तीन जजों की बेंच को भेजा है.
तीन जजों की बेंच करेगी मामले की समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि मामले की जटिलता को देखते हुए ये बेहतर होगा कि तीन जजों की बेंच साल 2013 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करे. 2013 के उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी घोषणाओं को करप्ट प्रैक्टिस नहीं माना था.
लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास होती है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मुफ्त सुविधाओं के मुद्दे की जटिलता को देखते हुए मामला तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि तर्क दिया गया था कि एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ द्वारा दिए गए 2013 के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.