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बीकानेर। तपस्वियों के बहुमान, नाट्यमंचन व भजनों की प्रस्तुति के साथ बुधवार को रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में चातुर्मास की दूसरी संक्रांति महोत्सवपूर्वक मनाई गई। साध्वी सौम्यप्रभा, साध्वी सौम्यदर्शना, साध्वी अक्षयदर्शना, साध्वी परमदर्शना के सान्निध्य में संक्रांति महोत्सव का शुभारम्भ वल्लभ गुरु को पुष्प अर्पित कर किया गया। श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया, विजयचंद बांठिया व सुरेन्द्र जैन बद्धाणी ने दीप प्रज्ज्वलन किया। संक्रांति महोत्सव के लाभार्थी पूनमचंद विजयचंद बांठिया परिवार रहे। कार्यक्रम में सुनील पारख, पूनम जैन व रौनक कोचर ने तथा सामयिक मंडल बीकानेर व गंगाशहर की महिलाओं ने गीतों की प्रस्तुति दी। महोत्सव में 28 दिवसीय गौतम लब्धि तप करने वाले तपस्वियों का सम्मान चातुर्मासिक आयोजन के मुख्य लाभार्थी परिवार के पुष्पा देवी, सुरेन्द्र कुसुम जैन बद्धाणी द्वारा किया गया। आज की संघपूजा का लाभ रिखबचंद सिरोहिया व कपूरचंद सरला बेन सिंघवी द्वारा लिया गया। संक्रांति भजन की प्रस्तुति कमल कोचर द्वारा दी गई। साध्वी अक्षयदर्शना ने कहा कि भोग व त्याग यह दो मार्ग हैं। भोग निर्बलों का मार्ग है, इस मार्ग पर सुख कभी नहीं। त्याग शूरवीरों का मार्ग है, इसमें कर्मों की निर्जरा, आत्मा की शुद्धि होती है। भोग कभी भी मनुष्य को तृप्त होने नहीं देता।

नाट्यमंचन में बच्चों ने दिखाई प्रतिभा
संक्रांति महोत्सव में इक सवाल मैं करुं इक सवाल तुम करो थीम के माध्यम से सरोज कोचर के निर्देशन में नाट्यप्रस्तुति दी गई। नाटक में सुनील पारख ने स्वरलहरियों दी तथा नाट्यमंचन में निकिता बैद व सुषमा कोचर का सहयोग रहा। नाट्यमंचन में हैप्पी कोचर, विहान कोचर, सिद्धांत बांठिया, हितार्थ कोचर, मौर्य सिरोहिया, परी कोचर, मानसी कोचर, चयन कोचर, प्रियांश कोचर, काव्या कोचर, समायरा बैद की भूमिका रही। विशेष आकर्षण का केन्द्र बने 4 माह के महावीर कोचर कृष्णा के रूप में नजर आए। इसी शृंखला में 6 वर्षीय मनस्वी बैद ने भी हारमोनियम बजाते हुए अच्युतम् केशवम् गीतिका प्रस्तुत की।

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