बीकानेर,युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के अज्ञानुवर्ती मुनि श्री शांतिकुमार जी एवं विद्वान शिष्य मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी के मंगल सान्निध्य में आचार्य तुलसी समाधि स्थल, नैतिकता के शक्तिपीठ पर आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में भव्य भक्ति संध्या “तुलसी नाम प्यारा” का आयोजन किया गया। आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कर्नाटक से समागत सुमधुर गायिका सुश्री रितु दक एवं भीलवाड़ा से सुप्रसिद्ध संगायक श्री ऋषि दुगड़ ने अपने गीतों से श्रद्धालुओं को श्रद्धा में भावविभोर कर दिया। हर और भक्तिमय माहौल नजर आरहा था।
मुनिश्री द्वारा नमस्कार महामंत्रोचार से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मुनि श्रेयांस कुमार जी, मुनि अनुशासन कुमार जी, मुनि अनेकांत कुमार जी ने गीत का संगान किया। प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री महावीर रांका आदि पदाधिकारियों ने संगायको साहित्य आदि से सम्मान किया। महामंत्री श्री हंसराज डागा ने स्वागत वक्तव्य दिया कार्यक्रम का कुशलता से संचालन श्रीमती ममता रांका ने किया। अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी की स्तुति में हुई इस शानदार शाम के कार्यक्रम में श्रावक समाज की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
नैतिकता के शक्तिपीठ पर इससे पूर्व प्रातः असली आज़ादी अपनाओं विषय पर मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मुनि शांति कुमार जी ने आचार्य तुलसी के जीवन की विलक्षणताओं का जिक्र करते हुए उन्हें एक महान आचार्य बताया। मुनि जितेंद्र कुमार जी ने कहा कि 1947 में भारत देश आजाद हुआ। उस समय आचार्य तुलसी ने अनुव्रत आंदोलन का आगाज करते हुए असली आजादी की बात की। असली आज़ादी हमें तभी प्राप्त हो सकती है जब हमारे इस देश में, हर एक नागरिक के भीतर नैतिकता की ज्योति प्रज्वलित होगी। अणुव्रत के द्वारा आचार्य तुलसी ने समाज को नैतिक उत्थान की ओर ले जाने का कार्य किया। उनके संदेश आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे है।
मुनि सुधांशु कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य तुलसी ने जो संयम का संदेश दिया वह हमारे मन वचन और काया के रूप में जीवन में अवतरित हो। मुनि अनुशासन कुमार जी ने सुमधुर गीत द्वारा उनकी विशेषताओं का वर्णन किया।