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बीकानेर, लूणकरणसर,प्रकृति के सन्तुलन और पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ो का बड़ा महत्व है। साथ ही हमारी संस्कृति एवं चिकित्सा पद्धतियों में औषधीय पौधों का विशेष स्थान है। ये उदबोधन पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने लूणकरणसर में वन विभाग द्वारा मंडी आवासीय कॉलोनी के पार्क में आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं ‘घर-घर औषधि योजना‘ के शुभारम्भ समारोह को संबोधित करते हुए कहे उन्होने कहा कि स्वास्थ्य रक्षा तथा औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से राज्य सरकार ने घर-घर औषधि जैसी अभिनव योजना का शुभारम्भ किया है। राजस्थान संभवतः पहला प्रदेश है, जिसने औषधीय पौधों के प्रति जन चेतना जागृत करने के लिए वृहद स्तर पर ऐसी अनूठी योजना लागू की है। यह हमारी भावी पीढ़ी की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम होगा। पूर्व प्रधान गोविन्दराम गोदारा ने कहा कि राजस्थान सरकार की इस योजना के तहत दिए जाने वाले पौधों को वे अपने घरों या अन्य किसी उचित स्थान पर लगाएं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। राज्य सरकार ने निशुल्क वितरण के लिए तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधों का चयन किया है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सर्वाधिक कारगर हैं,क्षत्रीय वन अधिकारी नरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से सभी परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पौधे वन विभाग अपनी पौधशालाओं में तैयार करेगा। राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रूपए व्यय करेगी। वन विभाग के सभी कार्मिक निचले स्तर तक योजना को सफल बनाने के लिए समर्पण भाव से काम करेंगे। राजस्व तहसीलदार शिवकुमार प्रसाद गौड़, विकास अधिकारी शीला देवी लूणकरणसर के उपसरपंच गणेशराम मेघवाल सहनीवाला सरपंच प्रतिनिधि देवीलाल सिल्ला ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया ।कार्यक्रम में औषधीय पौधों की पहली किट पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल को क्षेत्रीय वन अधिकारी नरेंद्र कुमार चौधरी ने भेंट की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल के नेतृत्व में सभी आगंतुकों ने पार्क में वृक्षारोपण किया।*

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